विधानसभा में गूंजा सबसे बड़ा महाघोटाला

कंपनी ने 16 बैंकों में जमा गरीबों का पैसा डकार लिया। विजय माल्या ने नौ हजार करोड़ रुपये डकारे और विदेश भाग गए।

By BabitaEdited By: Publish:Wed, 04 Apr 2018 09:53 AM (IST) Updated:Wed, 04 Apr 2018 11:11 AM (IST)
विधानसभा में गूंजा सबसे बड़ा महाघोटाला
विधानसभा में गूंजा सबसे बड़ा महाघोटाला

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश के करीब 6000 करोड़ के सबसे बड़े कर कर्ज घोटाले की गूंज मंगलवार को प्रदेश विधानसभा में भी सुनाई दी। वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में स्थित इंडियन टेक्नामैक कंपनी के महाघोटाले के मामले को उठाया। उन्होंने कंपनी के कर्ताधर्ता राकेश शर्मा की तुलना विजय माल्या, ललित मोदी व नीरव मोदी से की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घोटाले में कॉरपोरेट घराने, हिमाचल के नौकरशाह व राजनेताओं की तिकड़ी शामिल रही है। इनके बिना घोटाला नहीं हो सकता था। उन्होंने एक ही तरह के अपराध के लिए दो एफआइआर दर्ज करने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कंपनी सितंबर 2013 में बंद हो गई व 31 मार्च को अंतिम बैलेंस शीट दी। कंपनी ने 16 बैंकों में जमा गरीबों का पैसा डकार लिया। विजय माल्या ने नौ हजार करोड़ रुपये डकारे और विदेश भाग गए। ललित मोदी व नीरव ने भी करोड़ों रुपये डकारे। फर्क सिर्फ इतना है कि माल्या इग्लैंड में रह रहा है और राकेश दुबई में।

खुदा की टांग नहीं है सीबीआइ

सिंघा ने सरकार से मांग की कि करकर्ज घोटाले की जांच सही ढंग से करवाई जाए। उन्होंने सीबीआइ से ज्यादा सरकार पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि सीबीआइ कोई खुदा की टांग नहीं है। वह तो गुडिय़ा मामले में भी तथ्य सामने नहीं ला सकी है। उन्होंने कंपनी की संपत्तियों को जब्त करने की मांग भी की। 

पहले जांच में विलंब हुआ, अब नहीं होगा: विक्रम ठाकुर

उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने सदन में तथ्यों की पूरी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहले जांच में विलंब हुआ मगर अब नहीं होगा। सरकार करों केतौर पर चुराए गए 2200 करोड़ के धन की वसूली के लिए गंभीर है। हाल ही में निदेशक विनय शर्मा को गिरफ्तार किया गया था जिसने माना है कि कंपनी ने पांवटा कारखाने में उत्पादन ज्यादा दिखाया और जाली दस्तावेज बनाए। ऐसा बैंकों से कर्ज लेने के लिए किया। आबकारी विभाग ने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर माजरा में केस दर्ज करवाया। सरकार डिफाल्टरों के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। वर्ष 2014

में कंपनी की जेसीबी और एक अन्य वाहन की कुर्की की गई थी। राकेश मालिक नहीं निदेशक ही था जो दिल्ली का रहने वाला है। तीन अन्य निदेशकों में विनय शर्मा (देहरा), रंगानाथ निवासन (बिहार) व अश्विनी साहु (ओडि़सा) शामिल हैं।

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