नीलामी प्रक्रिया में बाधा बने अफसरों पर कार्रवाई हो : हाईकोर्ट

हिमाचल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि खनिज पदार्थो की नीलामी प्रक्रिया में बाधा बनने वाले अफसरों पर सख्त कार्रवाई। कोर्ट में शुक्रवारक्रैध खनन से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 10:11 PM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 10:11 PM (IST)
नीलामी प्रक्रिया में बाधा बने अफसरों पर कार्रवाई हो : हाईकोर्ट
नीलामी प्रक्रिया में बाधा बने अफसरों पर कार्रवाई हो : हाईकोर्ट

विधि संवाददाता, शिमला : हिमाचल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि खनिज पदार्थो की नीलामी प्रक्रिया में देरी के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाए। अवैध खनन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कोर्ट ने उद्योग विभाग के ऐसे अफसरों पर कार्रवाई के आदेश के साथ कहा कि इससे न केवल प्रदेश को नुकसान हुआ है बल्कि बेरोजगार भी प्रभावित हुए हैं।

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश चंद्र भूषण बारोवालिया ने कहा कि इस जाच को मुख्य सचिव बिना किसी डर और किसी अधिकारी को बचाने की मंशा के बिना जल्द पूरा करें। कोर्ट ने इस संबंध में 28 सितंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इसी दिन मामले की फिर सुनवाई होगी।

न्यायालय ने उद्योग विभाग के प्रधान सचिव द्वारा दायर शपथपत्र के माध्यम से पाया कि कई नीलामी स्थलों पर किसी भी बोलीदाता ने बोली की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। न्यायालय ने यह भी पाया कि उन क्षेत्रों में अवैध तरीके से व बिना किसी रोक-टोक के लोग खनिज पदार्थो का खनन कर रहे हैं। इसी वजह से किसी भी व्यक्ति ने उन स्थानों पर नीलामी प्रक्रिया में भाग लेना उचित नहीं समझा।

कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगाती तब तक बोलीदाता खनन के लिए नीलामी स्थलों पर सामने नहीं आएंगे। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय को यह जानकारी दी गई थी कि प्रदेश में थोड़ी से भूमि से खनिज पदाथरें को निकाला जा रहा है। जबकि न्यायालय के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार 44400 हेक्टेयर भूमि पर भरपूर मात्रा में खनिज उपलब्ध हैं और मात्र 2350 हेक्टेयर भूमि से खनिज निकालने की स्वीकृति प्रदान की गई है। जबकि अन्य 42050 हेक्टेयर भूमि से खनिज पदाथरें का दोहन किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए संयुक्त निरीक्षण कमेटी द्वारा भूमि लीज पर नहीं दी गई है।

प्रधान सचिव उद्योग में न्यायालय के समक्ष दायर शपथपत्र के अनुसार प्रदेश की नदियों के किनारे खनिज पदार्थो को निकालने व स्वीकृति प्रदान करने के लिए अब प्रतिवादी विभाग स्थिति में है। न्यायालय ने पाया कि अढाई साल पहले इस बाबत अधिसूचना जारी की गई थी लेकिन आज तक इस मामले में कोई भी प्रगति नजर नहीं आई है। जिसके लिए सीधे तौर पर न्यायालय ने प्रथमदृष्टया उद्योग विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार पाया है। शपथ पत्र के अनुसार 132 नीलामी स्थलों में से कागड़ा, सिरमौर, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर कुल्लू व मंडी में नीलामी की गई है, जबकि अन्य जिलों लाहुल-स्पीति, किन्नौर, चंबा व शिमला में इस बाबत रिपोर्ट तैयार करनी बाकी है।

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