नगर परिषद नाहन को क्यों न भग कर दिया जाए

नगर परिषद नाहन के खिलाफ प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध कब्जे न हटाने पर फटकार लगाई है जागरण संवाददाता शिमला प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण व अतिक्रमण न हटाने के मामले में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Mar 2019 09:46 PM (IST) Updated:Fri, 08 Mar 2019 09:46 PM (IST)
नगर परिषद नाहन को क्यों न भग कर दिया जाए
नगर परिषद नाहन को क्यों न भग कर दिया जाए

जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण व अतिक्रमण न हटाने के मामले में नगर परिषद नाहन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाया है। नगर परिषद के खिलाफ कड़ा संज्ञान लेते हुए उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी से पूछा है कि क्यों न परिषद को हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1994 के तहत भंग कर दिया जाए। कोर्ट ने कार्यकारी अधिकारी को पांच अप्रैल को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के भी आदेश जारी किए हैं। मामले पर सुनवाई पांच अप्रैल को होगी।

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की एकल पीठ ने अनिल अग्रवाल की दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए। कोर्ट ने पाया कि नगर परिषद अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है। कोर्ट ने प्रधान सचिव शहरी को आदेश दिए कि वे स्वयं नगर परिषद के कार्यो पर नजर बनाए रखें। उनसे नगर परिषद की परिधि में 10 साल में हुए अतिक्रमण व अवैध निर्माण को हटाने बाबत उठाए कदमों की सूची शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय के समक्ष दायर करने को कहा। यह है पूरा मामला

हाईकोर्ट ने हिमुडा की जमीन पर अवैध कब्जा व निर्माण करने के मामले में कोर्ट के आदेशानुसार गठित कमेटी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए थे। कमेटी हिमुडा ने गठित की थी, जिसमें हिमुडा के नाहन सब डिवीजन के असिस्टेंट इंजीनियर, परवाणू व नाहन डिवीजनों के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर व शिमला में तैनात सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर सदस्य थे। हिमुडा ने कोर्ट को बताया था कि प्रार्थी अनिल अग्रवाल ने हिमुडा की 47.49 वर्ग मीटर भूमि पर छत का निर्माण कर कब्जा किया था। हिमुडा के सहायक अभियंता ने कब्जा हटाने के आदेश दिए थे। प्रार्थी ने हिमुडा के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अतिक्रमण व निर्माण को विवादित जमीन खरीद करार देकर उसे नियमित करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने याचिका खारिज कर कहा था कि अदालतें बार-बार अवैध निर्माण व अतिक्रमण के मामलों में जीरो टालरेंस नीति अपनाई हुए है। लगता है कि लोगों में कानून का कोई डर नहीं दिखाई दे रहा है। कोर्ट का मानना था कि इतना ज्यादा अतिक्रमण हिमुडा के कर्मियों की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है। उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। हिमुडा की कमेटी ने अपनी पहली और अंतिम बैठक चार मई को की। कमेटी ने पाया कि इंजीनियर उमेश कुमार, जेई सुच्चा सिंह (अब सेवानिवृत्त) और जेई प्रदीप कुमार के कार्यकाल के समय यह अवैध निर्माण हुआ। कमेटी ने प्रार्थी को 47 वर्ग फुट अवैध निर्माण को हटाने के लिए नोटिस जारी कर व इतने ही निर्माण को गिराने की कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचने को पर्याप्त बताते हुए अपने कर्मियों को क्लीन चिट दे दी। कोर्ट ने पाया कि 3000 वर्ग फुट से ज्यादा निर्माण हिमुडा के कर्मियों की मिलीभगत के बगैर नहीं हो सकता। इसलिए जरूरी है कि दोषियों को पर्याप्त सजा मिले। कोर्ट ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले की पुन: जाच करने के आदेश जारी कर नई रिपोर्ट बनाने को कहा था। नई रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने दो अगस्त को नगर परिषद नाहन को भी प्रतिवादी बनाया था।

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