Shimla News: हिमाचल प्रदेश में H3N2 का पहला मामला आया सामने, बच्ची में पाया गय वायरस

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा उपखंड की एक ढाई महीने की बच्ची का एच3एन2 परीक्षण पॉजिटिव आया है। बच्ची का इलाज टांडा मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। उसे खांसी जुकाम और बुखार के इलाज के लिए शनिवार को टांडा मेडिकल कॉलेज लाया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Tue, 28 Mar 2023 07:35 AM (IST) Updated:Tue, 28 Mar 2023 07:35 AM (IST)
Shimla News: हिमाचल प्रदेश में H3N2 का पहला मामला आया सामने, बच्ची में पाया गय वायरस
हिमाचल प्रदेश में H3N2 का पहला मामला सामने आया

शिमला, एएनआई: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा उपखंड की एक ढाई महीने की बच्ची का एच3एन2 परीक्षण पॉजिटिव आया है। बच्ची का इलाज टांडा मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। कांगड़ा के सीएमओ डॉ. सुशील शर्मा ने कहा कि एच3एन2 वायरस का पहला मामला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पाया गया। 10 सप्ताह की बच्ची का टेस्ट पॉजिटिव आया, जबकि उसे खांसी, जुकाम और बुखार के इलाज के लिए शनिवार को टांडा मेडिकल कॉलेज लाया गया था।

इन्फ्लूएंजा के मामले वर्ष के कुछ महीनों के दौरान देखे जाते हैं

मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन पथ का संक्रमण है जो 4 अलग-अलग प्रकारों- इन्फ्लुएंजा ए, बी, सी और डी के कारण होता है जो ऑर्थोमेक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है। इन प्रकारों में इन्फ्लुएंजा ए मनुष्यों के लिए सबसे आम रोगजनक है। विश्व स्तर पर इन्फ्लूएंजा के मामले आमतौर पर वर्ष के कुछ महीनों के दौरान बढ़ते देखे जाते हैं। भारत में आमतौर पर मौसमी इन्फ्लूएंजा के दो शिखर देखे जाते हैं: एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मौसमी इन्फ्लूएंजा से पैदा होने वाले मामलों में मार्च के अंत से कमी आने की उम्मीद है। ज्यादातर मामलों में खांसी और सर्दी, शरीर में दर्द और बुखार आदि के लक्षणों के साथ रोग स्वयं-सीमित होता है और आमतौर पर एक या एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है।

हालांकि संभावित रूप से उच्च जोखिम वाले समूह जैसे कि शिशु, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और सह-रुग्णता वाले लोग अधिक रोगसूचक बीमारियों का अनुभव कर सकते हैं जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता होती है।

व्यक्ति-से-व्यक्ति तक फैलता है वायरस 

खांसी और छींक के कार्य से उत्पन्न बड़ी बूंदों के माध्यम से रोग संचरण ज्यादातर व्यक्ति-से-व्यक्ति तक हवाई होता है। संचरण के अन्य तरीकों में दूषित वस्तु या सतह (फोमाइट ट्रांसमिशन) को छूकर अप्रत्यक्ष संपर्क और हैंडशेकिंग सहित निकट संपर्क शामिल है।

दवा स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली के माध्‍यम से मुफ्त में कराई गई उपलब्‍ध 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ओसेल्टामिविर को संक्रमण के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सुझाई गई दवा के रूप में निर्धारित किया है। दवा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से मुफ्त में उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने व्यापक पहुंच और उपलब्धता के लिए फरवरी 2017 में दवा और कॉस्मेटिक अधिनियम की अनुसूची एच 1 के तहत ओसेल्टामिविर की बिक्री की अनुमति दी है।

chat bot
आपका साथी