घोटाले से जुड़ी सीआइडी जांच की फाइल दुबई पहुंची

हिमाचल प्रदेश में हुए छह हजार करोड़ से अधिक के कर- कर्ज घोटाले की सीआइडी जांच की फाइल दुबई पहुंच गई है। जांच एजेंसी ने इसका अंग्रेजी वर्जन गृह मंत्रालय को भेजा था। सूत्रों के अनुसार वहां से इसे विदेश मंत्रालय के माध्यम से विदेश रवाना करवाया। अब अरबी भाषा में अनुवाद एनआइए और सीबीआइ के पास पंजीकृत जानकार करेंगे। राज्य सीआइडी ने इन प्रमुख जांच एजेंसी से संपर्क साधा है। जब तक अरबी में अनुवाद नहीं हुआ तब तक दुबई की कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 09:17 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 06:20 AM (IST)
घोटाले से जुड़ी सीआइडी
जांच की फाइल दुबई पहुंची
घोटाले से जुड़ी सीआइडी जांच की फाइल दुबई पहुंची

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में हुए छह हजार करोड़ से अधिक के कर-कर्ज घोटाले की सीआइडी जांच की फाइल दुबई पहुंच गई है। जांच एजेंसी ने इसकी अंग्रेजी में अनुवादित प्रतिलिपि गृह मंत्रालय को भेजी थी। सूत्रों के अनुसार वहां से इसे विदेश मंत्रालय के माध्यम से विदेश भिजवाया गया। अब अरबी भाषा में अनुवाद एनआइए और सीबीआइ के पास पंजीकृत जानकार करेंगे। राज्य सीआइडी ने इन प्रमुख जांच एजेंसी से संपर्क साधा है।

जब तक अरबी में अनुवाद नहीं हुआ, तब तक दुबई के कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाएगी। इसके बिना मुख्य आरोपित दिल्ली निवासी आरके शर्मा को विदेश से वापस भारत नहीं लाया जा सकेगा। अब अरबी के जानकार आरोपितों के खिलाफ आरोपों के पुलिदे का अनुवाद करेंगे। सूत्रों के अनुसार टेरर फंड से जुड़े मामलों में एनआइए और सीबीआइ अरबी अनुवाद करवाने के लिए अपने पास जानकारों को पंजीकृत करती है। हिमाचल की सीआइडी को भी इनकी मदद लेनी पड़ रही है। इसकी वजह यह है कि आरोपित राकेश कुमार शर्मा पिछले महीने 23 दिसंबर को दुबई में पकड़ा गया था। उसे इंटरपोल ने पकड़ा था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ था। अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं। एक महीने के अंदर उसे देश में वापस लाने के लिए सीआइडी को सारी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। लेकिन इसमें समय लगेगा। सीआइडी इस घोटाले को लेकर दो चार्जशीट नाहन की कोर्ट में दाखिल कर चुकी है।

कर-कर्ज घोटाले का मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। मामला वर्ष 2013 में आबकारी एवं कराधान विभाग की इंटेलीजेंस यूनिट ने पकड़ा था। तब राज्य सरकार को इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने करोड़ों रुपये का करों के रूप में चूना लगाया था।

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