अब चिढ़ाएगा नहीं, रोजगार दिलाएगा चीड़

हिमाचल को अब चीड़ के पेड़ नहीं चिढ़ाएंगे। वनों में आग लगने की सबसे बड़ा कारण् चीड़ से ही अब रोजगार मिलेगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Jul 2018 04:43 PM (IST) Updated:Wed, 25 Jul 2018 04:43 PM (IST)
अब चिढ़ाएगा नहीं, रोजगार दिलाएगा चीड़
अब चिढ़ाएगा नहीं, रोजगार दिलाएगा चीड़

रमेश सिंगटा, शिमला

हिमाचल को अब चीड़ के पेड़ नहीं चिढ़ाएंगे। वनों में आग लगने की सबसे बड़ी समस्या चीड़ से ही रोजगार मिलेगा। ये पेड़ किसानों के लिए रोजगार हासिल करने का साधन बनेंगे। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार का भी वनों को बचाने का सपना साकार हो सकेगा।

विदेशी सहायता से चलने वाले प्रोजेक्टों में भी चीड़ की पत्तियां एकत्र करवाई जाएंगी। इससे नए उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसे आमदनी का जरिया बनाया जाएगा। इस फैसले के बाद वनों में आग लगने की घटनाओं में भी कमी आएगी। सरकार ने वनों में आग के सबसे बड़े कारण पर चोट की है। अब चीड़ पर आधारित उद्योग लग सकेंगे जिन्हें सरकार 50 फीसद सब्सिडी देगी। इससे न केवल निवेशक आकर्षित होंगे बल्कि स्थानीय लोगों को घर-द्वार पर रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। चीड़ की पत्तियों से तेजी से फैलती है आग

चीड़ के पेड़ों से वन निगम बिरोजा निकालता है। निजी भूमि पर लगे पेड़ों से किसान भी बिरोजा निकाल सकते हैं। वे इसके लिए ठेकेदारों को अधिकृत कर देते हैं। इससे पेड़ खोखला होकर आग लगने के लिए और संवेदनशील हो जाता है। गर्मी के दिनों में आग तेजी से फैलती है। पेड़ों के आसपास चीड़ की पत्तियां हों और इस बीच हवा का झोंका आए तो आग पूरे जंगल में तेजी से फैल जाती है। ऐसे में बस्तियां तक आग की चपेट में आ जाती हैं। अभी तक चीड़ की पत्तियों को कोई नहीं उठाता था। इन्हें एकत्रित करने के लिए अलग से बजट नहीं होता था। इसके अभाव में विभाग भी लापरवाह रहता था। लेकिन आग लगने की घटनाएं बढ़ने पर इसके कारणों पर जरूर मंथन करना पड़ता है। चीड़ के नए पेड़ नहीं होंगे तैयार

चीड़ के नए पेड़ अब तैयार नहीं होंगे। अब सरकार इसकी पौध को बढ़ावा नहीं दे रही है। जंगलों में चीड़ के नए पौधे खुद उग रहे हैं जिन्हें रोक पाना सरकार व विभाग के वश की बात नहीं है। चीड़ के पेड़ हरियाली तो देते हैं पर पर्यावरण बिगाड़ने में भी बड़ा कारक साबित होते हैं। कई जगह किसान ऐसे पेड़ों में जानबूझ कर आग लगाते हैं। इससे जंगल उजड़ने हैं और वन्य प्राणियों को भी खतरा पैदा हो जाता है। आग के लिए ईधन बनती हैं चीड़ की पत्तियां

वन विशेषज्ञों के अनुसार वनों में आग किसी भी अन्य आग की तरह तीन घटकों ईधन, ऊर्जा व ऑक्सीजन के सही मात्रा में मिश्रित होने पर लगती है। वायुमंडल में 21 फीसद ऑक्सीजन की मात्रा है। आग लगने के लिए 16 फीसद की मात्रा पर्याप्त होती है। ऑक्सीजन दो अन्य घटकों के साथ मिलकर आग लगने के लिए उपयुक्त होती है। हिमाचल में चीड़ के वनों में मार्च से लेकर जून तक चीड़ की पत्तियां लगातार गिरती रहती हैं। वे वनों में आग के लिए आवश्यक ईधन की आपूर्ति करती हैं। जब पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा व ईधन होते हैं तो आग बढ़ती जाती है। चीड़ की पत्तियों से उत्पाद तैयार करने का दिया जाएगा प्रशिक्षण

सरकार ने सराहनीय फैसला लिया है। हम विदेशी सहायता से चलने वाले प्रोजेक्टों में भी चीड़ की पत्तियों को एकत्र करवाएंगे। चीड़ की पत्तियों से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

आलोक नागर, सीसीएफ (प्रोजेक्ट) वन विभाग

chat bot
आपका साथी