रिज और मालरोड के साथ हर वार्ड में पहुंचे विकास

नगर निगम का बजट पांच दिन बाद पेश किया जाना है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Feb 2020 06:00 PM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 06:00 PM (IST)
रिज और मालरोड के साथ हर वार्ड में पहुंचे विकास
रिज और मालरोड के साथ हर वार्ड में पहुंचे विकास

जागरण संवाददाता, शिमला : नगर निगम शिमला का बजट पांच दिन बाद पेश किया जाना है। ऐसे में शहर के लोग रिज और मालरोड के साथ अन्य वार्डो में भी बराबर के बजट खर्च की मांग करने लगे हैं। दैनिक जागरण ने सोमवार को पाठक मंच का आयोजन किया। इसमें होटलियर, कारोबारियों, युवा व कर्मचारियों से लेकर आम शहरी को खंगाला तो सभी ने शहर में पार्किंग, पानी व गारबेज समस्या का समाधान भी मांगा। आम जनता चाहती है कि निगम और नेता अब बोलने के बजाय जमीन पर काम करें। शहर को काम करने की जरूरत है, बंदर नहीं अब कुत्ते भी जानलेवा हो चले हैं। शहरवासी इससे निजात चाहते हैं। सड़क किनारे महीनों तक पार्क वाहनों को प्रशासन उठा ले तो पार्किग और जाम की समस्या से राहत मिल सकती है। नगर निगम के वार्डो की हालत काफी खराब हो रही है। शहर की जनता पानी के भारी-भरकम बिलों से परेशान है। आम आदमी को बिल का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। शहर की सड़कों में जगह-जगह गड्ढे हैं, जिन्हें भरा नहीं गया है। अभी तक इंद्रनगर सड़क से बर्फ नहीं हटाई गई है। क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटों की भी खस्ता हालत है। रात के समय बुजुर्गो, महिलाओं व बच्चों को घर पहुंचने के लिए परेशान होना पड़ता है।

-लायक राम शर्मा, जनरल सेक्रेटरी शिक्षक महासंघ। शिमला में विश्वभर से पर्यटक घूमने आते हैं। शहर के पर्यटन स्थलों के लिए निर्देशिका पट्टिकाएं नहीं लगी हैं। इससे पर्यटकों को काफी दिक्कत क ा सामना करना पड़ता है। शहर में गाइड पर्यटकों को भ्रमित कर मनमाने रेट वसूलते हैं। कच्चीघाटी, विक्ट्री टनल पर राजनीतिक नेताओं के बोर्ड की जगह साइन बोर्ड लगे होने चाहिए। स्थानीय लोगों को पार्किग की सुविधा दी जानी चाहिए, लोग पार्किग सुविधा की पेमेंट भी करना चाहते हैं।

- नरेंद्र ठाकुर, टैक्सी यूनियन पदाधिकारी। शहर अंधाधुंध भवन निर्माण कार्य से कंकरीट में तबदील हो गया है, जिसका मलबा इधर-उधर नालों या सड़क किनारे फेंका जा रहा है। इससे प्राकृतिक जल स्त्रोत और बावड़ियां दूषित हो रहे हैं और इनका पानी पीने लायक नहीं रह गया है। नगर निगम को शहर में अवैध निर्माण को भी रोकना होगा। इसके अलावा लोग वार्डो में कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनकी तरफ भी ध्यान देना होगा।

- विशाल वर्मा, अध्यक्ष एबीवीपी इकाई एचपीयू। नगर निगम व पर्यटन विभाग शहर में पर्यटकों को लेकर किसी भी तरह की सुविधा देने के प्रयास नहीं कर रहे हैं। पानी और सफाई व्यवस्था में भी कुछ नहीं हो रहा है। दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर नेता रिज मैदान पर झाडू उठाते हैं जो मात्र दिखावा है। शहर में असल दिक्कत कुत्ते, बंदर और बेसहारा पशु हैं। शहर के बाजारों व सड़कों पर बंदरों व कुत्तों का इतना आतंक बढ़ गया है कि लोगों को राह चलते कुत्ते व बंदर झपट पड़ते हैं और उन्हें घायल होकर अस्पताल तक जाना पड़ता है।

- विशाल सकलानी, उपाध्यक्ष एबीवीपी इकाई एचपीयू। शिमला विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल है, लेकिन शहर के महत्वपूर्ण क्षेत्रों भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, रिज मैदान, मालरोड से सबसे पहले तो भिखारियों, बंदरों और कुत्तों से मुक्त करना होगा। तभी शिमला शहर की सुंदरता पर काम किया जा सकेगा। नगर निगम ने शहर को सुंदर बनाने के लिए बजट का क्या किया, उसका हिसाब जनता को देना होगा। क्योंकि यह एक सबसे बड़ा घोटाला है।

- अंकित चंदेल, छात्र। नगर निगम सफाई के दावे करता है, लेकिन तस्वीर कुछ और ही है। शहर में लोगों के घरों से लेकर कारोबारी स्थलों से रोजाना कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है। अब तो कूड़ा कई स्थानों से सप्ताह में दो दिन ही उठाया जा रहा है। इससे शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा सकती है। शहर में गंदगी बिखरी होने से पर्यटकों में भी गलत संदेश जाता है।

- देव ठाकुर, होटलियर। शिमला शहर में पार्किग, सफाई और पानी की दिक्कतें आज भी बिलकुल वैसी ही हैं जैसे कि पांच वर्ष पहले थीं। उपनगरों में कूड़े के ढेर व बोरियों में भरी पड़ी गंदगी जगह-जगह दिखाई देती है। कुछ बाशिदों ने सालों से सड़कों के किनारे गाड़ियां खड़ी कर रखी हैं, जिन्हें हटाने की प्रशासन कोई जहमत ही नहीं करता है। इस संबंध में निगम व पुलिस प्रशासन को कदम उठाने चाहिए।

- अमर ठाकुर, भाजपा मीडिया प्रभारी कसुम्पटी मंडल। शिमला स्मार्ट सिटी ऐसे तो नहीं बनेगा। शहर में सबसे बड़ी समस्या पार्किग की है लोगों ने जहां थोड़ी-सी जगह मिली वहीं गाड़ी खड़ी कर दी है। इससे सड़कों में ट्रैफिक जाम लग जाता है। नगर निगम को हर वार्ड में लोगों के लिए पार्किग की सुविधा देनी चाहिए। वहीं, लोगों को लावारिस कुत्तों व बंदरों से भी परेशान होना पड़ता है। स्कैंडल प्वाइंट, नगर निगम के सामने, शेर-ए-पंजाब व उपनगरों में भी कुत्तों व बंदरों की लोगों पर झपटने की वारदातें आए दिन होती रहती हैं। इस पर भी प्रशासन को कड़ाई से काम करना चाहिए।

- अशोक कुमार, स्थानीय कारोबारी। रेडीसन होटल से लेकर ऑकलैंड टनल तक सड़क को चौड़ा किया जाना चाहिए। इस सड़क पर स्कूल खुलने व बंद होने के समय काफी परेशान होना पड़ता है। कुफ्टाधार क्षेत्र में पैरापिट गिरे हुए हैं, जिनकी मरम्मत की जानी चाहिए। नगर निगम में स्मार्ट सिटी के लिए आया पैसा कहां खर्च हुआ, विश्व बैंक ने भी शिमला को संवारने के लिए पैसा दिया था वह कहां खर्च हुआ इसका जनता हिसाब मांगती है। क्या इन पैसों से विदेश टुअर तो नहीं हो रहे हैं।

- संजय कुमार। मालरोड की छतें तो रंगवाई जाती हैं, लेकिन सभी व्यापारियों को भी आदेश दिए जाने चाहिए कि वे भी अपनी दुकानों की छतों को रंग करें, ताकि सभी के रंग एक जैसे दिखें। शहर तारों का जंजाल बन चुका है उन्हें सही ढंग से लगवाएं, छतों से पाइपें लटकी हैं उन्हें ठीक करवा दिया जाए तो शहर अच्छा दिखेगा। इसके अलावा आशियाना के पास डंगे में हो रहे रिसाव को भी बंद करना चाहिए।

- सरदार वीरेंद्र सिंह, कारोबारी। नगर निगम को बंद कर किसी और एजेंसी को दे देना चाहिए। जेएनयूआरएम के तहत करोड़ों रुपये आया है, ये पैसा कहां पर खर्च हुआ इसकी जांच होनी चाहिए। पार्षद विदेशों से घूमकर वापस आए वह ऑफिस में सर्टिफिकेट दें कि ये सीखा और इसे अमलीजामा भी पहनाएं। या खर्च उनकी जेब से लिया जाए। इस पर नगर निगम महापौर और काउंसलर का रोल नहीं है कमीश्नर राज चल रहा है। बिजली हिमाचल में तैयार हो रही और हमें ही कमेटी भारी बिल थमा रही है।

- एसएस जोगटा, पूर्व कर्मचारी नेता। जब कूड़े के पैसे नहीं दिए जाते थे तब भी नगर निगम चल रहा था। पर्यटकों के साथ लूट हो रही है उन्हें कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। शहर में पर्यटकों को टैक्सी वाले, गाइड और छोटी-छोटी रेहड़ी वाले खूब पैसे वसूल रहे हैं। शिमला कहने को तो पर्यटन नगरी है लेकिन पर्यटकों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है। शिमला में पार्किग के लिए दो करोड़ रुपये आया था और जो काम एक वर्ष में पूरा होना था वह अब तक नहीं हुआ।

- सुरेंद्र ठाकुर, कारोबारी। पब्लिक ट्रांस्पोटेशन को मजबूत करना पड़ेगा। पर्यटन विभाग ने पर्यटकों की सुविधा के लिए एक रूट कुफरी बनाया था लेकिन वह सफल नहीं हुआ। शिमला में निजी बसों के कारण काफी प्रदूषण फैल रहा है। हिमाचल पथ परिवहन निगम को शहर में और इलेक्ट्रिक बसों को चलाना चाहिए, ताकि शहर को प्रदूषण मुक्त किया जा सके। बसों की ओवरलोडिग को कम करने के लिए टैक्सी की सुविधा को भी बढ़ाया जाना चाहिए।

- राजेश कश्यप, कर्मचारी नेता। शहर के विकास के लिए ठेकेदारों से दस फीसद अग्रिम सुरक्षा राशि मांगी जा रही है, जोकि गलत है। लक्कड़ बाजार में पार्किग नहीं है, इधर-उधर गाड़ी खड़ी करने पर चालान हो जाते हैं। जिन लोगों ने स्थायी रूप से गाड़ियों को पार्क कर रखा है उन्हें हटाया जाना चाहिए। स्कूल व ऑफिस समय पर सड़कों को खाली रखा जाना चाहिए, ताकि जाम की समस्या से शहर की जनता को न जूझना पड़े। इससे बच्चों को स्कूल समय पर पहुंचने व सड़कों को पार करना भी आसान होगा।

- ओपी ठाकुर, यूनियन प्रधान, कांट्रेक्टर। स्मार्ट सिटी शिमला की बात तो दूर कुफ्टाधार में रास्ते तक भी नहीं बने हैं। पार्किग की समस्या तो पूरे शहरभर की है। शिमला पर्यटन नगरी है। पर्यटक शिमला से बाहर जाता है तो यहां से संदेश गलत रहता है। इसके लिए नियम कड़े करने होंगे, ताकि पर्यटक अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें, उसे उस तरह की सुविधाएं देनी होंगी।

- क्रांति हिमालयन, जिला प्लानिग बोर्ड के सदस्य। अंग्रेजों ने शिमला को जिस स्थिति में छोड़ा था आज उसमें बहुत बदलाव आया है। लॉ एंड ऑर्डर का जमीनी स्तर पर न होना सबसे बड़ा कारण है। आज शिमला में भवन निर्माण इस तरह से हुआ है कि किसी भी व्यक्ति ने एक इंच जगह नहीं छोड़ी है। भवन के साथ भवन बनाए हैं, इससे गलियों से निकलना मुश्किल हो गया है। उपनगरों में बच्चों के लिए खेल मैदान, कम्युनिटी सेंटर जैसी सुविधाएं नहीं हैं। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए इस शहर को तोड़ना भी होगा। हॉस्पीटेलिटी टैक्सी के रेट फिक्स होने चाहिए।

-हेमंत, चेयरमैन कांट्रेक्टर, जय मां तारा यूनियन।

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