प्राकृतिक खेती आचार्य देवव्रत की देन

आचार्य देवव्रत ने राज्यपाल पद की स्थापित मान्यताओं को किनारे रखते हुए नई परिभाषा लिखी। यूरिया के इस्तेमाल से बंजर हो रहे पहाड़ों को बचाने के लिए शूल्य लागत प्राकृतिक खेती की शुरूआत की। आचार्य के शून्य लागत खेती को मोदी सरकार ने इस बजट में शामिल किया है। देवव्रत के प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती की जा रही है। राज्यपाल का दायित्व संभालने के बाद आचार्य ने प्रदेश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को गति प्रदान की।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Jul 2019 09:42 PM (IST) Updated:Mon, 15 Jul 2019 09:42 PM (IST)
प्राकृतिक खेती आचार्य देवव्रत की देन
प्राकृतिक खेती आचार्य देवव्रत की देन

राज्य ब्यूरो, शिमला : आचार्य देवव्रत ने हिमाचल में राज्यपाल पद की स्थापित मान्यताओं को किनारे रखते हुए नई परिभाषा लिखी। उन्होंने यूरिया के इस्तेमाल से बंजर हो रहे पहाड़ों को बचाने के लिए शून्य लागत प्राकृतिक खेती की शुरुआत की। शून्य लागत खेती को मोदी सरकार ने इस बार बजट में शामिल किया है।

आचार्य देवव्रत के प्रयासों का ही परिणाम है कि हिमाचल में शून्य लागत प्राकृतिक खेती की जा रही है। राज्यपाल का दायित्व संभालने के बाद आचार्य देवव्रत ने प्रदेश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को गति प्रदान की। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे राज्यपाल बनकर नहीं आए हैं जो राजभवन की चारदीवारी में बंद होकर रहें। उन्होंने सामाजिक विषयों के साथ-साथ आर्थिक बदलाव लाने के लिए जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित किया। आचार्य देवव्रत ने 12 अगस्त 2015 को हिमाचल में राज्यपाल का पदभार संभाला था। उन्होंने राजभवन के प्रांगण में सप्ताह में दो-तीन दिन हवन शुरू किया। उनके प्रयासों का परिणाम है कि राजभवन में समस्त कर्मचारी वर्ग ने धूमपान न करने की शपथ ली थी। प्रदेश के किसी राज्यपाल ने राजभवन में पहली बार अधिकारियों का दरबार लगाया था। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आचार्य देवव्रत ने प्रदेश में बढ़ते नशे को रोकने के लिए अधिकारियों को बुलाया था। उन्होंने नशा रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

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