लिव इन रिलेशनशिप के सताए भी पहुंचे महिला आयोग

By Edited By: Publish:Fri, 01 Aug 2014 01:00 AM (IST) Updated:Fri, 01 Aug 2014 01:00 AM (IST)
लिव इन रिलेशनशिप के सताए भी पहुंचे महिला आयोग

राज्य ब्यूरो, शिमला : सात फेरों के बंधन को बचाने के लिए वैवाहिक दंपती ही राज्य महिला आयोग में न्याय की गुहार नहीं लगा रहे हैं बल्कि अब प्यार वापस पाने के लिए भी आयोग में युवतियां फरियाद कर रही हैं। इसमें सामाजिक रस्मों को तोड़कर 'लिव इन रिलेशनशिप' के सताए युवक व युवतियों के मामले भी आयोग में सामने आए हैं। वीरवार को भी शिमला की एक युवती ने उसके प्यार से शादी करवाने के लिए महिला आयोग से मदद मांगी है।

हालांकि इस मामले की पहली सुनवाई में युवती का प्रेमी कोर्ट में मौजूद नहीं हुआ है। वह तीन साल से लिव इन रिलेशनशिप में थी और जो अब शादी से इन्कार कर रहा है। युवती व युवक शिमला शहर में ही निजी कार्यालय में नौकरी करते हैं। घरों से दूर रहने के चलते दोनों ने एक साथ जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया, मगर समय के साथ प्यार में भी खटास पड़ गई और युवक ने युवती से हमेशा के लिए मुंह फेर लिया और शादी का वादा कर भूल गया है। हैरानी इस बात की है कि लिव इन रिलेशनशिप के बारे में उनके अभिभावक भी सबकुछ जानते थे, परंतु बुजुर्गो ने भी कभी इस बात पर ऐतराज नहीं जताया। युवक व युवती शादी की योजना पहले से बना चुके थे। जिस कारण दोनों परिवारों का भी एक-दूसरे के घर जाना होता रहता था। लेकिन अब अचानक परिवारों के रिश्ते भी कड़वाहट में बदल गए। मगर प्यार की मारी युवती उसी युवक से शादी करना चाहती है, जिसके लिए अब वह महिला आयोग पहुंची है। वीरवार को युवक के अनुपस्थित होने के कारण आयोग को उसे अगले माह की तारीख देनी पड़ी है।

राज्य महिला आयोग में 23 मामलों पर सुनवाई रखी गई थी, जिनमें से 13 ही कोर्ट में उपस्थित हुए है। महिला आयोग की अध्यक्ष जनेब चंदेल ने बताया कि 13 मामलों में से चार में समझौता किया गया है जो पति-पत्नी व मां-बेटों से संबधित था।

बुढ़ी मां ने मांगा बेटे से खर्च

राज्य महिला आयोग में पहुंचकर एक बुढ़ी मां ने भी अपने बेटे से खर्च देने की मांग की है। शिमला जिला की रहने वाले बुजुर्ग महिला के दो बेटे हैं, जिनमें से एक के साथ वह रहती है, जबकि दूसरा अपने परिवार के साथ घर बसा रहा है। उससे खर्च न मिलने के कारण महिला ने आयोग में शिकायत की है। मामले में आयोग ने दोनों बेटों को मां का ख्याल रखने व पूरा खर्च उठाने के आदेश दिए है जबकि मां को भी नसीहत दी है कि दोनों बेटों को कम व ज्यादा तराजू में न तोले।

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