कैल्शियम बोरेट ग्लास तकनीक: जानिये कैसे सूर्य की रोशनी से साफ होगा पानी

आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने कैल्शियम बोरेट ग्लास तकनीक ईजाद की है इस तकनीक से अपशिष्ट जल से रोगाणु रंजक डिटर्जेंट व ड्रग्स आसानी से अलग हो जाएंगे और पानी साफ हो जाएगा।

By BabitaEdited By: Publish:Tue, 07 May 2019 10:17 AM (IST) Updated:Tue, 07 May 2019 10:17 AM (IST)
कैल्शियम बोरेट ग्लास तकनीक: जानिये कैसे सूर्य की रोशनी से साफ होगा पानी
कैल्शियम बोरेट ग्लास तकनीक: जानिये कैसे सूर्य की रोशनी से साफ होगा पानी

मंडी, जेएनएन। फार्मास्यूटिकल और टैक्सटाइल उद्योगों का अपशिष्ट अब सिरदर्द नहीं बनेगा। सेल्फ क्र्लींनिंग ग्लास का उपयोग कर सूर्य की रोशनी से पानी शुद्ध होगा। इसके लिए आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने कैल्शियम बोरेट ग्लास तकनीक ईजाद की है, जिससे अपशिष्ट जल से रोगाणु, रंजक, डिटर्जेंट व ड्रग्स अलग होंगे और पानी फिर उपयोग में आएगा।

फार्मास्यूटिकल और टैक्सटाइल उद्योगों का अपशिष्ट जल नदी प्रदूषण का प्रमुख कारण है। उद्योग इसे साफ करने की जगह नदी में बहा देते हैं। पारदर्शी कैल्शियम बोरेट ग्लास एवं टीओटू क्रिस्टल युक्त ग्लास नैनोकंपोजिट सौर प्रकाश की उपस्थिति में रोगाणु मार सकता है। कार्बनिक रसायनों को तोड़ सकते हैं। इसके लिए अतिरिक्त लागत या मशीनरी नहीं लगानी होगी। पानी को ग्लास कंटेनर में रखने के कुछ घंटों में सूर्य की रोशनी से पानी साफ हो सकेगा। यह ग्लास बड़े पैनलों के रूप में बनाया जा सकता है। ग्लास पानी से डिटर्जेंट भी निकाल सकता है। इसका इस्तेमाल वाशिंग मशीन में किया जा सकता है।

इस तकनीक का इस्तेमाल हवा को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है। यह हवा से एनओएक्स (नाइट्रोजन के ऑक्साइड) को निकाल सकता है। अगर हम खिड़कियों में इन ग्लासों को रखते हैं, तो हम वायु प्रदूषण से भी लड़ सकते हैं।

ईटीपी संयंत्र लगाना आसान नहीं

उद्योगों से निकलने वाले एजो डाई युक्त पानी को ईटीपी में उपचारित किया है। बद्दी व बरोटीवाला जैसे औद्योगिक क्षेत्र में एकमात्र ईटीपी है। संयंत्र की लागत करीब 82 करोड़ है। अब तक रसायनयुक्त पानी को रेसिन से उपचारित किया जाता है। रेसिन केमिकल महंगा होता है।

इसलिए खतरनाक है एजो डाई

एजो डाई में टैट्राजीन व कई अन्य रसायन पाए जाते हैं। एजो डाई में मौजूद रसायन से कैंसर, लिवर में ट्यूमर, मूत्राशय में कैंसर, डर्मेटाइटिस (त्वजा में खुजली के साथ सूजन) जैसी बीमारियां होती हैं। कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार में लाखों का खर्च होता है।

 

एजो डाई से भी मिलेगी निजात

कैंडी, सौंदर्य प्रसाधन, पेय, खाद्य पदार्थ व कपड़े की रंगाई से पानी के साथ निकलने वाला रसायन (एजो डाई) अब कपड़ा एवं खाद्य उद्योगों के लिए सिरदर्द नहीं बनेगा। एजो डाईयुक्त पानी दोबारा उपयोग में आने से रंगाई से निकलने वाले रासायनिक पानी को ठिकाने लगाने में करोड़ों रुपये का प्रवाह उपचार संयंत्र (ईटीपी) नहीं लगाना होगा। 

टैक्सटाइल व खाद्य उद्योगों में खाद्य पदार्थ व कपड़े की रंगाई के बाद जो कैमिकल युक्त पानी रहता है, उसे ठिकाने लगाना उद्योगपतियों के लिए बड़ी चुनौती होता है। पारदर्शी कैल्शियम बोरेट ग्लास व टीओटू क्रिस्टलीकृत ग्लास नैनोकम्पोजिट से पानी को शुद्ध कर दोबारा उपयोग में लाना संभव होगा।

-डॉ. राहुल वैश कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर आइआइटी मंडी।

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