चारों तरफ बर्फ का समंदर पर पीने के पानी को तरसे लाहुली, स्रोत ठीक करने के लिए कोसों बर्फ में चले ग्रामीण

लाहुल में सैकड़ों मील तक बर्फ का समंदर फैला है लेकिन प्यास बुझाने को एक बूंद पानी भी कड़ी मशक्कत के बाद नसीब हो रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 01:02 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 01:09 PM (IST)
चारों तरफ बर्फ का समंदर पर पीने के पानी को तरसे लाहुली, स्रोत ठीक करने के लिए कोसों बर्फ में चले ग्रामीण
चारों तरफ बर्फ का समंदर पर पीने के पानी को तरसे लाहुली, स्रोत ठीक करने के लिए कोसों बर्फ में चले ग्रामीण

मनाली, जसवंत ठाकुर। किशोर कुमार द्वारा गाया हिंदी फ़िल्म महबूबा का गाना मेरे नयना सावन भादो, फिर भी मेरा मन प्यासा। इन दिनों लाहुल के लोगों के जीवन में पूरी तरह चरित्रार्थ हो रहा है। यहां सैकड़ों मील तक बर्फ का समंदर फैला है, लेकिन प्यास बुझाने को एक बूंद पानी भी कड़ी मशक्कत के बाद नसीब हो रहा है। कहने को तो लाहुल-स्पीति बर्फ का समंदर है, जो पिघलकर करोड़ो लोगों की प्यास बुझाता है। लेकिन यही बर्फ लाहुल स्पीति के लोगों के लिए आफत भी बनती है। इन दिनों लाहुल स्पीति बर्फ से पूरी तरह ढक गई है, जिससे बिजली व पानी आपूर्ति ठप हो गई है।

लाहुल घाटी के योचे, दारचा, छिका, रारिक, नैनगाहर, गवाड़ी, कोकसर, सिसु, गोंदला, मूलिंग व स्पीति के किब्बर, किह, लंगचा, ढंखर, कॉमिक, लिपचा, रिबा और पिन वैली सहित जिले के दर्जनों गांव में पानी की समस्या गहरा गई है। संघर्षशील लाहुलियो की सदियों से बर्फीला रेगस्तान परीक्षा लेता रहा है। लेकिन लाहुली हर बार खुद को अव्‍वल साबित करते रहे हैं। गर्मियों में तो हालांकि शीत मरुस्थल सुविधा संपन्‍न हुआ है पर सर्दियों में अभी कुछ खास नहीं बदला है। इन गांवों के ग्रामीण आज भी सर्दियों में पानी के लिए भारी दिक्कत का सामना कर रहे हैं।

गोंदला गांव के ग्रामीण दोरजे व टशी अंगरूप ने बताया कि पानी की सप्लाई प्रभावित होने से गोंदला व आसपास के लोगों की दिक्कत बढ़ गई है। अधिक बर्फ़बारी होने से पानी के स्रोत जम रहे हैं, जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हो गई है। उन्होंने बताया शनिवार को चार फीट तक बर्फ के बीच करीब तीन किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद रास्ता बनाकर स्त्रोत तक पहुंचे। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने बताया आज फिर से ग्रामीण पानी की सप्‍लाई बहाल करने पहुंचे हैं। यही हाल अन्य दूर दराज गांव का भी है। लेकिन संघर्षशील लोग आज भी विपरीत परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।

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