प्रतिभा जम्वाल इंडियन नेवी गेलेंट्ररी अवार्ड से सम्मानित

कुल्लू : समंदर के रास्ते दुनिया की परिक्रमा करने वाली इंडियन नेवी की छह महिला अधिकारियों को ंराष्ट्रपति ने सम्मानित किया है।

By Edited By: Publish:Tue, 28 Aug 2018 04:45 PM (IST) Updated:Wed, 29 Aug 2018 01:06 PM (IST)
प्रतिभा जम्वाल इंडियन नेवी गेलेंट्ररी अवार्ड से सम्मानित
प्रतिभा जम्वाल इंडियन नेवी गेलेंट्ररी अवार्ड से सम्मानित

कुल्लू, जेएनएन। समंदर के रास्ते दुनिया की परिक्रमा करने वाली इंडियन नेवी की छह महिला अफसरों को नौसेना वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इंडियन नेवी की छह महिला ऑफिसर्स की इस टीम ने समुद्र की प्रचंड लहरों का सामना कर विश्व भ्रमण कर कीर्तिमान स्थापित किया है। इस टीम में हिमाचल के कुल्लू जिले की बेटी लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जम्वाल भी शामिल थी।

प्रतिभा के पिता रवि जम्वाल ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनकी बेटी को उसकी इस उपलब्धि के लिए राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ज्ञात हो कि भारतीय नौसेना की छह महिला अधिकारी गत वर्ष 10 सितंबर से समुद्री यात्रा पर निकली थी जो 21 मई को खत्म हुई थी। समुद्री यात्रा के दौरान टीम को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। नौसेना की इस टीम को उनकी इसी वीरता के लिए गेलेंट्ररी अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

प्रतिभा जम्वाल ने बताया कि इस यात्रा में सिर्फ महिला अधिकारियों को ही शामिल किया गया था। इस दौरान टीम तारिणी खतरनाक चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ी। मिशन के दौरान तीन बार समुद्री लहरों ने उन्हें चुनौती दी तो कभी 140 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली तेज हवाओं ने उनका रास्ता रोकना चाहा, लेकिन इस टीम ने मिशन को पूरा किया है। टीम ने पांच देशों, चार महाद्वीपों, तीन महासागर और तीन अंतरीपों (केप्स) के साथ-साथ भूमध्य रेखा को भी दो बार पार किया। प्रतिभा ने बताया कि इस टीम को 15 अगस्त को दिल्ली में हुए भव्य आयोजन के दौरान वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके अनुसार इंडियन नेवी में पहली बार महिला आफिसर्स को यह अवार्ड मिला है।

टीम तारिणी की सदस्य विश्व भ्रमण पर गई टीम तारिणी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने किया। टीम में वर्तिका के साथ लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जम्वाल, स्वाति पी, लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या बोड्डापति, एस विजया देवी और पायल गुप्ता शामिल थीं और इस यात्रा को नाविक सागर परिक्रमा नाम दिया गया था।

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