बर्फबारी और तेज हवाएं, पथरीली सीधी चढ़ाई; कारगिल के जवानों ने दिया असीम शौर्य का परिचय

आज सारा देश कारगिल विजय की 20वीं सालगिरह मनाएगा और जांबाजों को श्रद्धासुमन अर्पित करेगा।कारगिल युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की जुबानी कारगिल विजय की कहानी...विशेष प्रस्तुत

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 26 Jul 2019 09:50 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2019 10:33 AM (IST)
बर्फबारी और तेज हवाएं, पथरीली सीधी चढ़ाई; कारगिल के जवानों ने दिया असीम शौर्य का परिचय
बर्फबारी और तेज हवाएं, पथरीली सीधी चढ़ाई; कारगिल के जवानों ने दिया असीम शौर्य का परिचय

कुल्लू, कमलेश वर्मा। ऑपरेशन विजय आसान न था। बस मन में एक ही जज्बा था कि दुश्मन को अपनी जमीन से खदेड़ कर उस पर जीत दर्ज करना है। इसी जज्बे को दिल में लिए भारतीय सेना के जवान आगे बढ़े और विजय पाई। 18 ग्रेनेडियर के जवान भी इस युद्ध में क्या खूब लड़े। माइनस डिग्री तापमान। बर्फबारी और तेज हवाएं।18 हजार फीट ऊंची चोटी। पथरीली, सीधी चढ़ाई। छिपने के लिए घास का तिनका भी नहीं। ऑक्सीजन भी कम। ...और दुश्मन घात लगाए सिर पर बैठा था लेकिन सेना के जांबाजों ने तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा फहराया और टाइगर हिल को भी फतह किया...।

देश के जवानों की वीरता की यह दास्तां

18 ग्रेनेडियर यूनिट का नेतृत्व करने वाले, कारगिल युद्ध के हीरो सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बयां की। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, आज भी उन कठिन हालात और उन पर काबू करने वाले हमारे असीम हौंसले के बारे में सोचता हूं, तो सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। युद्ध में एक पल भी ऐसा नहीं था, जब हमारे जवानों के कदम डगमगाए हों...। 

 

ब्रिगेडियर ने कहा, कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पूरे हो गए, लेकिन ऐसा लगता है मानो कल की ही बात हो। वर्ष 1999 में जब 18 ग्रेनेडियर यूनिट को कारगिल युद्ध में जाने के आदेश हुए तो पूरी यूनिट के 900 जवान 15 मई को मोर्चे पर बढ़ गए। चोटी पर घात लगाकर बैठे पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया गया। अन्य यूनिट के जवानों के साथ 18 ग्रेनेडियर ने भी जमकर लोहा लिया। हमने टाइगर हिल को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाकर तिरंगा फहराया।

बर्फबारी और तेज हवाओं के बीच दुश्मनों की गोलियों का जवाब देते हुए हमने सबसे पहले तोलोलिंग चोटी को फतह किया। दिन के समय जवान छोटे-छोटे पत्थरों के पीछे छिपते थे और वहां से दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखते थे। असीम शौर्य का परिचय देते हुए 18 ग्रेनेडियर के 35 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। 95 जाबांज घायल हुए। घायल व शहीद हुए एक-एक जवान को आठ जवानों द्वारा नीचे पहुंचाया जाता था। 

खाद्य सामग्री की जगह भरा था असला-बारूद

बकौल ब्रिगेडियर ठाकुर, 18 ग्रेनेडियर की कमांडो टीम का नेतृत्व कैप्टन बलवान सिंह ने किया था। जवानों ने अपने खाने के सामान को कम करके उस स्थान पर भी असला और बारूद भर लिया था। कारगिल युद्ध में अदम्य साहस के लिए 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व करने के लिए ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया। 

तब तक युद्ध विराम नहीं...

ब्रिगेडियर ठाकुर के अनुसार, टाइगर हिल पर भारतीय सेना के तिरंगा फहराते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास गए और उनसे बिना शर्त युद्ध विराम की गुहार लगाई, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि जब तक भारत की सीमा से सभी घुसपैठियों के खदेड़ नहीं दिया जाएगा तब तक युद्ध विराम नहीं होगा।

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