नालंदा से जुड़ी शिक्षाओं से रूबरू होगी दुनिया, 150 बौद्ध शिक्षक धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद में जुटे, पढ़ें खबर

Tibetan Texts कई साल पहले संस्कृत व अन्य भाषाओं से तिब्बती भाषा में बदले गए कई धार्मिक ग्रंथों के ज्ञान से जल्द दुनियाभर के लोग रूबरू हो पाएंगे। इसके लिए प्रोजेक्ट 84 हजार के तहत तिब्बती ग्रंथों का अंग्रेजी में ऑनलाइन अनुवाद शुरू कर दिया गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 09:23 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 09:23 AM (IST)
नालंदा से जुड़ी शिक्षाओं से रूबरू होगी दुनिया, 150 बौद्ध शिक्षक धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद में जुटे, पढ़ें खबर
हिमाचल प्रदेश में मैक्‍लोडगंज स्थित तिब्‍बती समुदाय के धर्मगुरु का मंदिर।

बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। कई साल पहले संस्कृत व अन्य भाषाओं से तिब्बती भाषा में बदले गए कई धार्मिक ग्रंथों के ज्ञान से जल्द दुनियाभर के लोग रूबरू हो पाएंगे। इसके लिए प्रोजेक्ट 84 हजार के तहत तिब्बती ग्रंथों का अंग्रेजी में ऑनलाइन अनुवाद शुरू कर दिया गया है। इस कार्य में दुनियाभर से करीब 150 बौद्ध शिक्षक, अनुवादक व शिक्षाविद जुड़े हुए हैं। इस प्रोजेक्ट का मुख्य लक्ष्य तिब्बती भाषा में लिखे गए प्राचीन धार्मिक ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद करना है। इसमें अभी तक करीब 10 फीसद सफलता भी मिल चुकी है तथा यह ग्रंथ ऑनलाइन उपलब्ध होने लगे हैं।

इस प्रोजेक्ट को लेकर कुछ साल पहले जिला कांगड़ा के बीड़ में स्थित डियर पार्क में दुनियाभर से करीब 150 तिब्बती बौद्ध शिक्षक, अनुवादक और कई शिक्षाविद् चर्चा करने के लिए जुटे थे। इसमें सामने आया था कि तिब्बती बौद्ध ग्रंथों में कांग्यूर और तेंग्यूर यानी कांग्यूर दो तरह के ग्रंथ हैं। इसमें कांग्यूर का अर्थ बुद्ध के अनुवादित शब्द है। इसमें बुद्ध वचन या बुद्ध शब्द के रूप में माने जाने वाले ग्रंथों का संपूर्ण संग्रह है, इसका अनुवाद तिब्बती भाषा में किया गया है। जबकि तेंग्यूर का अर्थ अनुवादित ग्रंथ हैं। इसमें भारतीय बौद्ध गुरुओं द्वारा लिखे गए कार्यों के तिब्बती अनुवाद शामिल हैं, जो बुद्ध के शब्दों को समझाते और विस्तृत करते हैं। ऐसे 84 हजार से अधिक ग्रंथ हैं। इनमें पांच फीसद से कम का ही किसी भी आधुनिक भाषा में अनुवाद किया गया था। ऐसे में इन सभी का अंग्रेजी व अन्य आधुनिक भाषाओं में अनुवाद जरूरी है। इस कार्य में खेनसे फाउंडेशन भी सहयोग कर रही है।

नालंदा से जुड़ी शिक्षाओं को जानेगी दुनिया

निदेशक डियर पार्क संस्थान बीड़ (बैजनाथ) प्रशांत वर्मा का कहना है इसके लिए डियर पार्क बीड़ में एक कार्यशाला हुई थी। इस दिशा में अच्छा काम हो रहा है। काफी ग्रंथों का अनुवाद अंग्रेजी में हो चुका है। यह नालंदा से जुड़ी शिक्षाओं को आधुनिक दौर में सभी तक पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य होगा। इसमें लगातार काम चल रहा है। पूरी दुनिया में कई लोग इसके काम में ऑनलाइन जुटे हुए हैं।

chat bot
आपका साथी