बिना सत्संग के जीवन में नहीं हो सकता विवेक

नरदेह धारण करने के बाद भी हृदयकमल में श्रीहरि का सुमिरन नहीं किया तो फिर जीव का जीवन व्यर्थ है। यह प्रवचन जसूर स्थित बक्शी निवास में रविवार को नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के प्रथम दिवस पर कथाव्यास

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Mar 2020 07:10 PM (IST) Updated:Mon, 16 Mar 2020 06:23 AM (IST)
बिना सत्संग के जीवन में नहीं हो सकता विवेक
बिना सत्संग के जीवन में नहीं हो सकता विवेक

संवाद सहयोगी, जसूर : नरदेह धारण करने के बाद भी हृदयकमल में श्रीहरि का सुमिरन नहीं किया तो फिर जीव का जीवन व्यर्थ है। यह प्रवचन जसूर स्थित बक्शी निवास में रविवार को नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पहले दिन कथाव्यास सर्वेश्वर शरण महाराज ने दिए।

उन्होंने कहा कि मानव देह धारण कर मात्र सांसारिक सुखों को प्राप्त करने का लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि जीव की सार्थकता तभी है कि संसार में रहकर भी एक क्षण के लिए भी प्रभु चरणों से विमुख न हों। आज जीवात्मा सत्य को छोड़कर मिथ्या के पीछे भाग रही है जो उसके दुखों का मूल कारण है। संसार तो सपना है जिससे एक न एक दिन टूटना है और सत्य केवल और केवल प्रभु का नाम है। उन्होंने कहा कि गुणवान, रूपवान, बुद्धिमान, बलवान, धनवान और बैकुंठ में प्रभु का दर्शन होने से जीवन धन्य नहीं होता बल्कि जीवन उसी का धन्य है जिसके जीवन में सत्संग की महिमा की अविरल धारा बहती रहे।

उन्होंने कहा कि बिना सत्संग के जीवन में विवेक नहीं हो सकता और जब तक जीवन में विवेक न हो तो फिर उस परमसत्ता से प्रेम असंभव है। प्रेम तभी संभव है जब जीवात्मा निरंतर संतों के सानिध्य में रहकर और स्वयं को श्रीहरि के चरणों मे समर्पित कर सत्संग की धारा में समाहित रहे तो जीव की जीवन यात्रा सुलभ होकर मोक्ष को प्राप्त कर सकती है। श्रीराम कथा जीवात्मा के मोक्ष का वह द्वार है जिसकी शरण में जाने से कल्याण संभव है। इस अवसर पर वीना बक्शी, निक्कू बक्शी, मंजू बक्शी व अन्य मौजूद रहे।

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