केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्‍वयन में शिक्षकों की भूमिका पर मंथन

National Education Policy राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुलपतियों व शिक्षाविदों ने मंथन किया। नई शिक्षा नीति को 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह लागू की जा रही है इससे पहले 1968 में भी शिक्षा नीति बनाई गई थी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 11:40 AM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 11:40 AM (IST)
केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्‍वयन में शिक्षकों की भूमिका पर मंथन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुलपतियों व शिक्षाविदों ने मंथन किया।

धर्मशाला, जेएनएन। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुलपतियों व शिक्षाविदों ने मंथन किया। नई शिक्षा नीति को 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह लागू की जा रही है, इससे पहले 1968 में भी शिक्षा नीति बनाई गई थी। नीति आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल एवं प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति कार्यान्वयन में शिक्षकों की भूमिका विषय पर मंथन किया गया। संगोष्ठी के माध्यम से शिक्षाविदों ने शिक्षकों में अभिप्रेणा पैदा करने के लिए अपनी बात रखी। शिक्षकों की चुनौतियों पर भी मंथन हुआ। शिक्षा में नवाचार विकसित करने एवं मातृभाषा के प्रयोग पर बल देना भी इस संगोष्ठी का अहम हिस्सा रहा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जब से केंद्रीय मंत्रीमंडल ने स्वीकृति दी है तब से लगातार देश में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, तकनीकि विवि के कुलपित प्रो. एसपी बंसल ने अभिप्रेरित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र के व्यक्तित्व विकास को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। इस संगोष्ठी से देशभर के शिक्षाविद व छात्र ऑनलाइन भी जुड़े हुए थे।

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर दो दिवसीय संगोष्ठी आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल और नीति आयोग एवं हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में केंद्रीय विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर, धर्मशाला एवं व्यास परिसर, देहरा में होने वाली इस संगोष्ठी में कई जाने- माने शिक्षाविद एवं कुलपति सम्मिलित हैं।

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