राजेश का बलिदान बनेगा प्रेरणा का स्रोत

बेशक सरहद पर देश के लिए बलिदान देने वाले अमर हो जाते हैं। उसी तरह वनरक्षक ने जंगल की आग को शांत करते हुए अपना बलिदान दिया जिसे न केवल सदियों तक याद रखा जाएगा बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में भी जाना जाएगा।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Thu, 26 May 2022 10:06 PM (IST) Updated:Thu, 26 May 2022 10:06 PM (IST)
राजेश का बलिदान बनेगा प्रेरणा का स्रोत
राजेश का बलिदान बनेगा प्रेरणा का स्रोत। जागरण आर्काइव

सतीश चंदन, ऊना । बेशक सरहद पर देश के लिए बलिदान देने वाले अमर हो जाते हैं। उसी तरह वनरक्षक ने जंगल की आग को शांत करते हुए अपना बलिदान दिया, जिसे न केवल सदियों तक याद रखा जाएगा, बल्कि आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में भी जाना जाएगा। वनरक्षक राजेश ने सैली के जंगलों की भीषण आग से लड़ते हुए जान की की परवाह नहीं की। यहीं कारण है प्रदेश सरकार की तरफ से वन संपदा व वन्य प्राणियों को बचाते हुए जान कुर्बान करने वाले राजेश को बलिदानी का दर्जा दिया है। साथ ही धर्मशाला में बलिदान स्मारक बनने की घोषणा करना हरेक कर्मयोगी के लिए बड़ी प्रेरणा है।

सरकार की तरफ से लिए गए ऐतिहासिक निर्णय से यह सिद्ध हो गया है कि वनरक्षक राजेश की कर्मठता सदा के लिए अमर हो गई है। बेशक इस निर्णय से राजेश के बड़े भाइयों, उसकी पत्नी प्रवीण, बेटे साहिल, बेटी अनुष्का समेत अन्य नजदीकी रिश्तेदारों को उसके बलिदान को लेकर नाज है, क्योंकि यह भी शायद पहली दफा हो रहा है कि किसी राजकीय ड्यूटी के दौरान मौत के आगोश में गए कर्मचारी को बलिदानी का दर्जा देने के साथ ही उसका स्मारक भी बनाया जाएगा। हालांकि इससे पहले देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिकों का स्मारक बनाया गया है। वहीं, बलिदानी का दर्जा मिलने व स्मारक बनने की सूचना मिलने पर वनरक्षक प्रदेश सरकार के आभारी हैैं, क्योंकि उन्होंने सदा के लिए चले गए राजेश को बलिदानी का दर्जा दिया और उसका स्मारक बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए वह प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, वन मंत्री राकेश पठानिया, पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर समेत समस्त सहयोगियों के आभारी रहेंगे।

बेशक राजेश ड्यूटी के दौरान अपनी जान की बाजी लगा गया, लेकिन उसकी असमय मौत बड़ा संदेश देकर गई। हमें अपने भाई के जाने का असहनीय दुख सदा के लिए रहेगा, लेकिन उसके बलिदान पर नाज है।

नरेश कुमार शर्मा, वनरक्षक राजेश के बड़े भाई

बेटे राजेश कुमार शर्मा को जो सम्मान हिमाचल सरकार की ओर से दिया जा रहा है उससे हम संतुष्ट हैं, जबकि हमारे बच्चे की क्षतिपूर्ति तो नहीं हो सकती फिर भी वन विभाग के आफिस कर्मचारियों और अधिकारियों व ऊना एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से जो सहयोग हमारे बेटे के सम्मान में किया जा रहा है उससे हमें खुशी है। हमें पता चला है कि कैबिनेट में फैसला हुआ है कि राजेश को बलिदानी घोषित कर स्मृति स्मारक जिला मुख्यालय में बनाने का निर्णय लिया है, जो कि एक अच्छा निर्णय है जिस के लिए हम हिमाचल प्रदेश सरकार के धन्यवादी हैैं।

जगतराम शर्मा, बुजुर्ग एवं बड़े भाई राजेश कुमार, बदोली।

सैली के जंगल में भीषण आग की चपेट में आने से जान गंवाने वाले वनरक्षक राजेश कुमार को बलिदानी का दर्जा देने के साथ ही उसके नाम से स्मारक बनाना सराहनीय निर्णय आगामी पीढिय़ों के लिए प्रेरणादायक रहेगा। इसके लिए वह समस्त पंचायत की तरफ से प्रदेश सरकार के सदैव आभारी रहेंगे।

रजत कुमार, ग्राम पंचायत प्रधान, बदोली।

प्रदेश सरकार ने वनरक्षक राजेश कुमार के प्रति जो संवेदना दिखाई हैैं, वह सराहनीय कदम है। इससे फील्ड के सभी अधिकारी व कर्मचारी स्वागत करते हैं। राजेश कुमार का बलिदान सभी अधिकारियों व कर्मियों के लिए सदैव के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।

मृत्युंजय माधव, वन परिमंडल अधिकारी, ऊना जिला।

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