धर्मशाला में बाहरी भी आजमा चुके हैं हाथ

उपचुनाव को लेकर धरती पुत्र का नारा चला है जिसकी तपिश से ना तो भाजपा और ना ही कांग्रेस अछूती है। धरती पुत्र को टिकट देने की चिगारी प्रतिदिन सुलग रही है जिसका नजारा सार्वजनिक मंच से लेकर आमजन की चर्चाओं में झलक रहा है। टिकटों को लेकर चले रहे प्रत्याशियों के नाम सामने आते देख धरती पुत्र को टिकट देने की वकालत भी दोनों ही ओर से भी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Sep 2019 07:57 PM (IST) Updated:Thu, 26 Sep 2019 07:57 PM (IST)
धर्मशाला में बाहरी भी आजमा चुके हैं हाथ
धर्मशाला में बाहरी भी आजमा चुके हैं हाथ

दिनेश कटोच, धर्मशाला

विधानसभा क्षेत्र धर्मशाला में उपचुनाव के लिए धरती पुत्र का नारा लगा है। इसकी तपिश से भाजपा और न ही कांग्रेस अछूती है। दोनों पार्टियों में स्थानीय को टिकट देने की पैरवी की जा रही है।

हालांकि भाजपा में अब तक किसी भी बाहरी को भाग्य आजमाने का मौका धर्मशाला हलके में नहीं मिला है। दूसरी ओर कांग्रेस में चंद्रेश कुमारी व सुधीर शर्मा ने बाहर से आकर हाथ की बदौलत जीत हासिल की थी। इन दोनों नेताओं के अलावा वरिष्ठ नेता मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने बसपा के हाथी पर सवार होकर धर्मशाला हलके में चढ़ने का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी। अबकी बार उपचुनाव में पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा के बाहरी होने पर सवाल अपने ही उठा रहे हैं। भाजपा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। हालांकि नामांकन के लिए चार दिन शेष हैं लेकिन दोनों ओर से प्रत्याशियों के चेहरों पर धुंध बरकरार है। नामांकन के लिए अंतिम तिथि 30 सितंबर है और शनिवार व रविवार को कोई भी पर्चा दाखिल नहीं करवा पाएगा। 28 सितंबर को अंतिम श्राद्ध है और 29 को नवरात्र का आगाज होगा। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पहले नवरात्र पर प्रत्याशियों की घोषणा होगी और 30 को ही दोनों ओर से नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे।

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चंद्रेश बमसन, सुधीर बैजनाथ के बाद लड़े थे धर्मशाला से चुनाव

पूर्व मंत्री चंद्रेश कुमारी ने पहला चुनाव हमीरपुर जिले के बमसन (अब सुजानपुर) से लड़ा था। इसके बाद धर्मशाला हलके क्षेत्र का रुख किया था। चंद्रेश कुमारी राजस्थान राजघराने से हैं, लेकिन उनकी शादी आदित्य देव कटोच के साथ होने के कारण वे यहां की बहू बनी थीं। उन्होंने चुनाव में जीत भी हासिल की थी। सुधीर शर्मा बैजनाथ से दो बार के विधायक रहे चुके हैं। बैजनाथ हलके के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद उन्होंने धर्मशाला से भाग्य आजमाया था और जीत हासिल की थी।

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