नूरपुर के नागनी मंदिर के प्रति लोगों की आस्‍था,है मान्‍यता कुष्ठ रोगी भी होते हैं स्‍वस्‍थ

जिला कांगड़ा के नूरपुर उपमंडल के टीका कोड़ी नागनी मंदिर में श्रावण व भाद्रपद मास में मनाए जाने वाले 9 मेले इस बार कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं

By Richa RanaEdited By: Publish:Thu, 03 Sep 2020 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 03 Sep 2020 01:11 PM (IST)
नूरपुर के नागनी मंदिर के प्रति लोगों की आस्‍था,है मान्‍यता कुष्ठ रोगी भी होते हैं स्‍वस्‍थ
नूरपुर के नागनी मंदिर के प्रति लोगों की आस्‍था,है मान्‍यता कुष्ठ रोगी भी होते हैं स्‍वस्‍थ

नूरपुर,जेएनएन।जिला कांगड़ा के  नूरपुर उपमंडल के टीका कोड़ी नागनी मंदिर में श्रावण व भाद्रपद मास में मनाए जाने वाले 9 मेले इस बार कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं। मेले न होने के कारण मंदिरों में श्रदालुओं की रौनक़  गायब है, लेकिन नागनी मंदिरों के प्रति लोगों की आस्था अब भी बरकरार है । लोगों को उम्मीद है कि मां की कृपा से शीघ्र कोरोना संकट का हल होगा और वे जल्‍द नागनी मंदिर में जा पाएंगे।       

लोगों द्वारा दावा जताया जाता है कि टीका कोड़ी स्थित मंदिर में एक बार कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति पहुंचा जो मां नागनी की आराधना में लीन रहता था । उसने मंदिर परिसर की मिट्टी जिसे शक्कर कहा जाता है और चरणों से निकलती जलधारा का लेपन व सेवन अपने शरीर पर करना शुरू किया तो कुछ ही दिनों में उसका कुष्ठ रोग पूरी तरह से दूर हो गया । लोगों में धारणा यह भी है कि विषैले सांपों से पीड़ित रोगी भी इसी शक्कर का उपयोग कर पूर्णतया स्वस्थ्य हो जाते हैं । चूंकि बरसात के दौरान सांपो के काटने की घटनाएं बहुत होती हैं और इस दौरान अनेक मरीज मां के मंदिर में भी देखे जाते हैं ।      

किदवन्तियों के अनुसार नूरपुर रियासत के राजा जगत सिंह की  माता नागनी में अटूट विश्‍वास था और वह स्वयं इस धाम में मां की पूजा अर्चना कर अपनी रियासत और प्रजा की सुख समृद्वि के लिए मां से याचना करते थे                         

वैसे तो नागनी मंदिरों में वर्ष भर लोगों का आना जाना लगा रहता है लेकिन श्रावण और भाद्रपद मास के दो महीनों में प्रत्येक शनिवार को उक्त दोनों मंदिरों में मेले लगते थे जिसमें प्रदेश सहित पंजाब , जम्मूकश्मीर , दिल्ली आदि अन्य राज्यों से लोग भारी संख्या में उमड़ते थे जिससे जहां पुजारी वर्ग को चढ़ावे की भारी राशि अर्जित होती थी वहीं स्थानीय लोगों को भी अनेक प्रकार के स्वरोजगार के अवसर मिलते थे जोकि इन मेलों से कमाई कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करते थे लेकिन इस बार कोरोना  वैश्विक महामारी के कारण प्रशासनिक आदेशों के कारण उक्त मंदिरों के कपाट बंद हैं जिनके खुलने का श्रदालुओं को बेसब्री से इंतजार है ।

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