अधूरा ही रहा नए घर में प्रवेश का सपना

Martyr Nitin Rana dream incomplete शहीद नितिन राणा का नये घर में जाने का सपना अधूरा ही रह गया।

By Edited By: Publish:Sun, 10 Mar 2019 07:27 PM (IST) Updated:Mon, 11 Mar 2019 09:57 AM (IST)
अधूरा ही रहा नए घर में प्रवेश का सपना
अधूरा ही रहा नए घर में प्रवेश का सपना

परिवेश महाजन, जयसिंहपुर। शहीद नितिन राणा का नए घर में प्रवेश करने का सपना अधूरा ही रह गया। परिजन नितिन की शादी रचाने के सपने संजोये बैठे थे, लेकिन भाग्य को यह मंजूर नहीं था। रुंधे हुए गले से पिता सुभाष राणा बताते हैं कि नितिन में बचपन से ही सेना में भर्ती होने का जज्बा था। बकौल सुभाष राणा, आर्थिक तंगी के कारण वह उनके लिए कुछ खास नहीं कर पाए थे।

दोनों भाई पालमपुर में हुई खुली भर्ती में दौड़े थे। नितिन भर्ती हो गया था और निखिल मेडिकल में रह गया था और बाद में वह सेंटर में भर्ती हुआ था। सात साल के सेवाकाल में नितिन ने कमाई घर पर लगा दी थी और वह जल्द नए घर में प्रवेश करना चाहता था। पिता बताते हैं कि नितिन ने अगली छुट्टी में आकर मकान का काम पूरा करने की बात कही थी। मां व दादी को लाडले की शादी की जल्दी थी और उन्होंने रिश्ते की बात भी चलाई थी। उन्हें क्या पता था कि शादी के लिबास की बजाए उन्हें लाडले को तिरंगे में लिपटा देखना पड़ेगा। मां को रविवार सुबह ही बेटे की शहादत की सूचना दी गई थी।

मां पिछले 18 दिन से रोजाना भगवान से बेटे के सकुशल लौटने की फरियाद करती थी। मां बार-बार नीतू नीतू पुकार रही थी। लाडले को तिरंगे में लिपटा देखकर मां और दादी बेसुध हो गई। नितिन की पोस्टिंग को यहां दो साल से ज्यादा समय हो चुका था। 25 दिसंबर, 1992 को पैदा हुए नितिन की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला भघेतर में हुई थी। शहीद मिलाप सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाहट से जमा दो के बाद डिग्री कॉलेज पालमपुर से शिक्षा ग्रहण की थी। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार नितिन शुरू से ही फौज में जाना चाहते थे। 2012 में नितिन सात जैक राइफल्स में बतौर चालक भर्ती हुए थे। गरीबी में पले-बढ़े नितिन मधुरभाषी व मिलानसार थे। वह दिसंबर में एक महीने की छुट्टी काटकर गए थे।

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