मेजर जनरल डीवीएस राणा ने सरकार पर पूर्व सैनिकाें की अनदेखी का लगाया आरोप

गणतंत्र समाराेह में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की ओर से परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार काे शहीद बताने काे लेकर पूर्व सैनिकाें में बबाल मच गया है। पूर्व सैनिक इसके लिए मुख्यमंत्री सहित जलशक्ति मंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग कर रहे हैं।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 29 Jan 2022 11:38 AM (IST) Updated:Sat, 29 Jan 2022 11:38 AM (IST)
मेजर जनरल डीवीएस राणा ने सरकार पर पूर्व सैनिकाें की अनदेखी का लगाया आरोप
परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार काे शहीद बताने काे लेकर पूर्व सैनिकाें में बबाल मच गया है।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। गणतंत्र समाराेह में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की ओर से परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार काे शहीद बताने काे लेकर पूर्व सैनिकाें में बबाल मच गया है। पूर्व सैनिक इसके लिए मुख्यमंत्री सहित जलशक्ति मंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग कर रहे हैं। एचपी पब्लिक सलेक्शन बाेर्ड के पूर्व चेयरमैन एवं सेवानिवृत मेजर जनरल डीवीएस राणा ने कहा कि कारगिल युद्ध के महानायक परमवीर चक्र विजेता काे जीवित हाेने पर शहीद बताया मंत्री की संकीर्ण साेच का परिचायक है। उन्हाेंने कहा कि मंत्री के इस कथन से पूर्व सैनिकाें की भावनाएं आहत हुई है वहीं ऐसा कहा जाना असहनीय है।

उन्हाेंने बताया कि सूबेदार संजय कुमार ने विश्व में हिमाचल का गाैरव बढ़ाया है। वर्तमान में वह अाइएमए देहरादून में कार्यरत हैं। उन्हाेंने प्रदेश सरकार पर पूर्व सैनिकाें की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि कृषि के बाद हिमाचल के युवाओं काे सेना भर्ती ही बड़ा सहारा है। प्रदेश में एक लाख 20 हजार पूर्व सैनिक, 40 हजार कार्यरत, 2000 शहीद नारियां हैं। उन्हाेंने बताया कि सभी राज्याें में जिला स्तर पर सैनिक बाेर्ड के कार्यालयाें में भरपूर मात्रा में स्टाफ है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के सात जिलाें में चार साल से सरकार पूर्व सैनिकाें के कल्याण में डिप्टी डायरेक्टर पद नहीं भर पाई है। वहीं सेना में प्रतिष्ठित रेंक के बावजूद डिप्टी डायरेक्टर के पदाें पर कार्यरत कर्नल काे मात्र 30 हजार रुपये में अनुबंध दिया जा रहा है।

वहीं सैनिक कल्याण बाेर्ड में कार्यरत निदेशक काे भी 25 हजार रुपये बेसिक वेतन पर रखा है। उन्हाेंने कहा कि सम्मान नहीं मिलने पर अधिकारी अपनी सेवाओं काे इमानदारी से नहीं निभा सकता है। बाेर्ड निदेशक ब्रिगेडियर वर्मा ने अनदेखी के चलते अपने पर से इस्तीफा दिया लेकिन सरकार ने इसे अनदेखा कर दिया। इसी तरह पूर्व सैनिकाें के पुर्नराेजगार के तहत प्रदेशभर में तीन हजार पांच साै पद रिक्त हैं। काेराेना संक्रमण के दाैरान भी विशेषज्ञ सेवाएं लेने के बजाए मेडिकल काेर में सेवाएं देने वाले नर्सिंग एसिस्टेंट व फार्मासिस्ट काे जमा-दाे ,मेडिकल, की शर्त लगाकर नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है। पूर्व सैनिकाें के आश्रिताें काे नाैकरी देने में देरी की जा रही है। उन्हाेंने पूर्व सैनिकाें के आश्रिताें काे नियुक्तियाें में एक साथ पद भरने की छूट देने की मांग की ताकि पूर्व सैनिक के अभाव में उस पद काे आश्रित से भरा जा सके।

सरकार ने काेराेनाकाल में मंदिराें की सुरक्षा में लगे 300 पूर्व सैनिकाें काे नाैकरी से हटा दिया जबकि अन्य विभाग में कहीं काेई कटाैती नहीं की गई। उन्हाेंने  आराेप लगाया कि पिछले चार सालाें में सैनिकाें से अन्याय हाे रहा है। हिमाचल में वायु सेना और जल सेना की भर्ती बहाल नहीं की। वहीं सैनिक कल्याण कार्यालयाें काे

50 प्रतिशत कर्मचारियाें से संचालित किया जा रहा है। 149 की जगह 80 कर्मी तैनात हैं, नई भर्तियां नहीं हुईं। सैनिक हैल्पलाइन खाेलने के लिए सरकार जमीन नही दे रही है। इसमें सैनिकाें के लिए केंटीन, ईसीएचएस व सहायता केंद्र खाेले जाने हैं। उन्हाेने कहा कि कुल मिलाकर वर्तमान सरकार ने सैनिकाें की अनदेखी ही की है।

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