Independence Day: बूढ़ी आंखों में आज भी आजादी की यादें ताजा, 81 वर्षीय लीला देवी का युवाओं को संदेश

Memories of Freedom 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस की तारीख जैसे ही पास आती है। बुजुर्गों की आंखों में रोशनी की चमक बढ़ जाती है। जो बुजुर्ग भारत के स्वतंत्र होने के गवाह बने और आज भी हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 09:31 AM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 09:31 AM (IST)
Independence Day: बूढ़ी आंखों में आज भी आजादी की यादें ताजा, 81 वर्षीय लीला देवी का युवाओं को संदेश
हिमाचल प्रदेश के ऊना की 81 वर्षीय लीला देवी

ऊना, राजेश डढवाल। Memories of Freedom, 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस की तारीख जैसे ही पास आती है। बुजुर्गों की आंखों में रोशनी की चमक बढ़ जाती है। जो बुजुर्ग भारत के स्वतंत्र होने के गवाह बने और आज भी हैं। उनकी आंखों में आजादी की पहली सुबह का दृश्य और वो खूबसूरत अहसास खुशी उल्लास का मंजर आज भी जवां हो उठता है। स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर दैनिक जागरण ने बुजुर्गों से बात कर उस समय के माहौल का जिक्र छेड़ा तो खुशी से भरे जज्बात नम आंखों के साथ उमड़ पड़े।

81 वर्षीय लीला देवी बताती हैं कि हर तरफ आजादी के तराने गूंज रहे थे। उन्हें आजादी का पहल दिन का आज भी याद है। हालांकि उस समय महज छह वर्ष की थीं, मगर आजादी के मायने उन्हें बेहतर समझ आते थे। लीला देवी बताती हैं कि सुबह से ही देशभक्ति का माहौल चरम पर पहुंच गया था। हालांकि मेरे लिए यह बिल्कुल अलग माहौल था और यह क्यों था इसके मायने मुझे भलीभांति ज्ञात थे।

हर तरफ लोग आजादी के तराने गुनगुना रहे थे। जगह-जगह झंडा फहराया और उत्सव मनाया गया था। पिताजी मुझे कंधे पर बैठाकर ध्वजारोहण दिखाने ले गए थे और जगह-जगह लड्डू और जलेबी बंट रही थी। लोग एक-दूसरे को बधाई और मुबारक दे रहे थे। जिला में मैदान की कमी नही थी क्योंकि उस समय मकान कम हुआ करते थे। खुले मैदान में भारी भीड़ हुजूम लगा हुआ था। देशभक्ति  के परवाने जी भरकर उस खुशी को एक-दूसरे से गले मिलकर साझा कर रहे थे।

लीला देवी अचानक मायूस होते हुए कहती कहती हैं कि आज की पीढ़ी को इस स्वतंत्रता के संघर्ष का अहसास नहीं है। 1947 से पहले बगावत का दौर चला था। हर युवा खुद को आजाद चाहता था। सभी क्रांतिकारियों से प्रेरित थे। हम बच्चे भी घर मे वंदे मातरम करते एक-दूसरे के साथ खेलते थे।

लीला देवी आजादी की उस खुशी को आज भी नहीं भूली हैं। कहती हैं कि आज का युवा वर्ग देश के इस सबसे पवित्र दिन को सादगी से मनाना भूल गया है। कुछ लोग आज महज औपचारिकता भर निभाने लगे हैं। ध्वजारोहण पर युवाओं की उदासीनता मन को आहत करती है। युवाओ को आजादी के दिन की महता को समझना चाहिए। आजादी एक उत्सव का  अवसर है मगर आज ज्यादातर यह दिन महज फोटो सेशन तक सिमट गया है।

देश के लिए खुद को समर्पित करें युवा

लीला देवी आज के युवाओं को संदेश में कहना चाहती हैं कि वो देश के लिए खुद को समर्पित करने के लिए पीछे न रहें। विज्ञान सहित खेलों में खुद को साबित करने के लिए परिश्रम करें। पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाएं।

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