दो धड़ों में बंटे हैं एचआरटीसी पेंशनर्स, एक धड़ा आज शिमला में देगा धरना, दूसरा 22 को मंडी में करेगा रैली
HRTC Pensioners Association हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के पेंशनर्स दो धड़ों में बंट गए हैं। एक की अगुवाई अशोक पुरोहित तो दूसरे की सत्यप्रकाश शर्मा कर रहे हैं। पुरोहित परिवहन पेेंशनर समस्या समाधान मंच के अध्यक्ष हैं जबकि शर्मा पेंशनर कल्याण संगठन के अध्यक्ष हैं।
शिमला, राज्य ब्यूरो। HRTC Pensioners Association, हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के पेंशनर्स दो धड़ों में बंट गए हैं। एक की अगुवाई अशोक पुरोहित तो दूसरे की सत्यप्रकाश शर्मा कर रहे हैं। पुरोहित परिवहन पेेंशनर समस्या समाधान मंच के अध्यक्ष हैं, जबकि शर्मा पेंशनर कल्याण संगठन के अध्यक्ष हैं। अशोक पुरोहित की टीम मांगों को लेकर शिमला में राज्यस्तरीय धरना देगी। जबकि सत्य प्रकाश शर्मा के अनुसार पेंशनर मांगों के संबंध में मंडी में 22 अक्टूबर को हुंकार रैली भरेगा। उन्होंने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि इस रैली के पीछे कोई भी राजनीतिक एजेंडा नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि तीन माह से संघर्षरत है। पहले 17 जुलाई को शिमला में निगम के राज्य मुख्यालय में धरना दिया था। इसके बाद राज्य विधानसभा का घेराव किया था। तब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ परिवहन मंत्री की मौजूदगी में वार्ता हुई थी। बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हुआ। पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान पेंशनर्स के भी कोई अधिकारी होते होंगे। उन्होंने कहा कि अगर 22 अक्टूबर को मांगे नहीं मानी गई तो वे चुनाव में सरकार का विरोध करेंगे। शर्मा ने कहा कि आंदोलन को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
हड़ताल को समर्थन
पेंशनर्स के दोनों धड़ों के पदाधिकारियों ने कहा है कि हड़ताल के लिए उनका समर्थन रहेगा। उधर, परिवहन पेंशन समस्या समाधान मंच के अध्यक्ष अशोक पुरोहित का कहना है कि सोमवार को शिमला में धरना होगा। मंडी में हुंकार रैली के बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा, दूसरे गुट के नेताओं के बारे में टिप्पणी नहीं करूंगा, पर हुंकार रैली हमारी नहीं है। उन्होंने कहा हड़ताल को लेकर कर्मचारियों को पूरा समर्थन रहेगा।
शंकर ठाकुर भी समर्थन में
हिमाचल परिवहन मजदूर संघ के अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को संपर्क और संवाद खत्म नहीं करना चाहिए। कर्मचारियों से तत्काल वार्ता होनी चाहिए। हमने पहले भी बड़ा आंदोलन लड़ा है।