कुलदीप राठौर बोले, जयराम सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह से लाचार, लगाए गंभीर अारोप

Himachal Congress President प्रदेश सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह लाचार साबित हो रही है। अफसरों का अंर्तद्वंद चरम पर है। सरकार के तीन साल के इस कार्यकाल में अफसरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच आज दिन तक सामंजस्य बिठाने में मुख्यमंत्री पूरी तरह असफल साबित हुए है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 02:51 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 02:51 PM (IST)
कुलदीप राठौर बोले, जयराम सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह से लाचार, लगाए गंभीर अारोप
कुलदीप सिंह राठौर ने कहा प्रदेश सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह लाचार साबित हो रही है।

शिमला/धर्मशाला, जेएनएन। प्रदेश सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह लाचार साबित हो रही है। अफसरों का अंर्तद्वंद चरम पर है। सरकार के तीन साल के इस कार्यकाल में अफसरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच आज दिन तक सामंजस्य बिठाने में मुख्यमंत्री पूरी तरह असफल साबित हुए है। यही वजह है कि जनहित के कार्य सरकारी फाइलों में दफन हो कर रह गए हैं। प्रेस को जारी बयान में कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा प्रदेश में विकास नाम की कोई चीज नहीं है। अफसरशाही के बीच कोई भी तालमेल नहीं है। सबका अपना डफली अपना राग बनकर रह गया है। मुख्यमंत्री का कार्यलय संघ का अड्डा बन कर रह गया है, जहां केवल संघ से जुड़े अधिकारियों व नेताओं की ही चलती है।

आम लोगों के लिए इसके दरवाजे बंद पड़े है। राठौर ने अफसरशाही के बीच चले शीतयुद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा कर रह गई है। यही वजह है कि आये दिन मुख्यमंत्री को अपने आदेशों व फैसलों को बदलना पड़ता है।

राठौर ने कहा काम करने वाले अधिकारियों को तवज्जो नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ते आ रहे हैं। राठौर ने कहा आज प्रदेश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट होकर रह गई है। सरकार का इस दिशा की ओर कोई भी ध्यान नहीं है।

बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई पर सरकार की कोई लगाम नहीं है। राठौर ने नए कृषि कानून पर किसानों के आंदोलन पर मुख्यमंत्री की खामोशी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्हें प्रदेश के किसानों व बागवानों को अपना स्टैंड क्लीयर करना चाहिए। उन्होंने कहा देश के आंदोलनरत किसानों के साथ प्रदेश का किसान भी खड़ा है क्योंकि यह कानून पूरी तरह से किसान व बागवान विरोधी है।

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