मूंग व उड़द की बुआई के लिए उपयुक्त समय

Agriculture advisiory for farmers regarding daal production हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है।

By Edited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 08:28 PM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2019 10:28 AM (IST)
मूंग व उड़द की बुआई के लिए उपयुक्त समय
मूंग व उड़द की बुआई के लिए उपयुक्त समय

पालमपुर, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार निदेशालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि रबी फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर निगरानी रखें। निचले क्षेत्रों में मूंग और उड़द की फसलों की बुआई कर सकते हैं। निचले क्षेत्रों में चने की फसल में फलीछेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपांश 3-4 प्रपांश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं। जहां पौधों में 40-50 फीसद फूल खिल गए हों तथा सुंडियों के फसल पर प्रकट होते ही साइपरमिथरिन 30 मिली प्रति 30 लीटर पानी में घोकर प्रति कनाल प्रयोग करें।

बरसीन में करें खरपतवार नियंत्रण जेई तथा बरसीन की फसलों में खरपतवार नियंत्रण करें। मक्का चारे के लिए (प्रजाति- अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुआई का समय आ गया है। निचले क्षेत्रों में बेबी कार्न की बुआई कर सकते हैं। सब्जियों को चेपा कीट से बचाएं सब्जियों व सरसों की पछेती फसल को चेपा कीट से बचाएं। यदि कीटों की संख्या अधिक हो तो नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोपिड 0.25-0.5 मिली लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुड़ाई के बाद स्प्रे आसमान साफ होने पर करें।

स्प्रे के बाद सब्जियों की सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें। फूलगोभी व जड़दार सब्जियों जैसे मूली, शलजम व पालक के खेतों को खरपतवार रहित रखें। ब्रोकली, पछेती फूलगोभी, बंदगोभी तथा टमाटर में निराही गुड़ाई करें। पॉलीथीन के लिफाफों में कद्दू वर्गीय सब्जियों खीरा, करेला व पंडोल की पनीरी दें। आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाएं निचले क्षेत्रों में हवा में अधिक नमी के कारण आलू में झुलसा रोग की संभावना दिखाई देने पर कार्बडिज्म 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम- 45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से चिपकने वाले पदार्थ के साथ (टीपाल) मिलाकर छिड़काव इस तरह से करें कि पौधा पूरा भीग जाए।

आलू की फसल की गुड़ाई करें तथा खरपतवार निकाल दें। मुर्गीघरों में न होने दें नमी मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए मुर्गीघरों में नमी मत होने दें। मुर्गीघरों में डीप-लीटर को दूसरे-तीसरे दिन उलटें रखें। मुर्गियों को साफ पानी दें। ब्रायलर को लगातार फीड देते रहें। मुर्गियों के अंडों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रोशनी का 14 से 16 घंटे तक प्रबंध करें।

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