विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष: खुश रहिए ..स्वस्थ रहेंगे

जीवन में बहुत सी घटनाएं होती हैं जो दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इनके बारे में ज्यादा सोचने से ये दिमाग में बैठ जाती हैं। इसी वजह से व्यक्ति अवसाद यानी डिप्रेशन से पीड़ित हो जाता है।

By Munish DixitEdited By: Publish:Fri, 07 Apr 2017 11:13 AM (IST) Updated:Fri, 07 Apr 2017 11:27 AM (IST)
विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष: खुश रहिए ..स्वस्थ रहेंगे
विश्व स्वास्थ्य दिवस विशेष: खुश रहिए ..स्वस्थ रहेंगे

जेएनएन, टांडा (कांगड़ा): जीवन में बहुत सी घटनाएं होती हैं जो दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इनके बारे में ज्यादा सोचने से ये दिमाग में बैठ जाती हैं। इसी वजह से व्यक्ति अवसाद यानी डिप्रेशन से पीड़ित हो जाता है। आजकल तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल भी मानव मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव डालता है। हमारे आसपास होने वाली घटनाएं भी जीवन को प्रभावित करती हैं। कई बार व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है तथा उसे लगने लगता है कि वह अब ठीक नहीं होगा। वह बार-बार इसके बारे में ही सोचता रहता है। इस कारण भी वह डिप्रेशन में चला जाता है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के मनोचिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि पारिवारिक व आतंरिक कारण और बाहरी वातावरण का प्रभाव भी अवसाद की वजह बनता है। टांडा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग में हर रोज 20 से 30 लोग ऐसे पहुंचते हैं जो इन्हीं कारणों से डिप्रेशन में होते हैं। अस्पताल में पिछले साल करीब 26000 लोग मनोचिकित्सा विभाग में इलाज के लिए पहुंचे। ज्यादातर मामलों में गंभीर बीमारी से पीड़ित होना, आसपास होने वाली घटनाएं या पारिवारिक कलह इत्यादि कारण डिप्रेशन का शिकार होने के सामने आए। मनोचिकित्सा विशेषज्ञ का मानना है कि हमें अवसाद ग्रसित व्यक्ति के सामने ऐसी चीजों को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए जो उनके दुख को और बढ़ाने वाली हों। उनके मन को शांत रखने की कोशिश करें और मनोचिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लें।

'मन में बुरे ख्याल आएं तो सबसे पहले दोस्त को बताएं। जीवन में मुश्किलें आना जिंदगी का हिस्सा है पर उनसे जीत कर आगे बढ़ना एक कला है। खुद पर काबू पाकर अपने आपको सकारात्मकता की ओर ले जाने की जरूरत है। स्वच्छ जीवन जीने के लिए अपने अंदर अच्छी सोच पैदा करें। मन में बुरे ख्याल आएं तो तुरंत दोस्तों से बात करें और मनोचिकित्सक की सलाह लें।'-डॉ. मेजर सुखजीत सिंह, विभागाध्यक्ष, मनोरोग विभाग टांडा मेडिकल कॉलेज।

क्या है डिप्रेशन

मन में लगातार निराशा छाए रहना और अच्छे लगने वाले कार्यों में भी रुचि खो देना। कमजोर महसूस करना, कम या अत्याधिक भूख लगना, कम या अत्याधिक नींद, काम में ध्यान न लगना। निर्णय न ले पाना, बेचैनी, दोषी महसूस होना। स्वयं को हानि पहुंचाना या आत्महत्या जैसे विचार आना।

क्या करें

किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें। अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर से सलाह लें। अपनी रुचि के कार्यों में समय व्यतीत करें। अपने परिवार या दोस्तों के संपर्क में रहें, उनसे बात करें। व्यायाम करें। अगर आत्महत्या का ख्याल मन में आए तो तुरंत इसके बारे में किसी को बताएं।

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