शिक्षक मंच ने उठाई मांग, प्रधानाचार्यो को नियमित करे सरकार

हिमाचल शिक्षक मंच ने प्रधानाचार्यो को नियमित करने की मांग की है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Aug 2018 06:08 PM (IST) Updated:Mon, 27 Aug 2018 06:08 PM (IST)
शिक्षक मंच ने उठाई मांग, प्रधानाचार्यो को नियमित करे सरकार
शिक्षक मंच ने उठाई मांग, प्रधानाचार्यो को नियमित करे सरकार

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : हिमाचल शिक्षक मंच ने प्रदेश की वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में कार्यरत प्रधानाचार्यो को शीघ्र नियमित करने की माग की है। मंच के संयोजक सदस्यों अश्वनी भट्ट, संजय मोगू, अनिश वन्याल, तपिश थापा, विजय शमशेर भंडारी, संजीव राणा व अजय चौधरी के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2008 से प्रधानाचार्य के पदों पर नियमित नियुक्ति के स्थान पर तदर्थ व 2011 से प्लेसमेंट के आधार पर पदोन्नतियां की जा रही हैं। विभाग प्रधानाचार्य का कार्य तो ले रहा है, लेकिन उन्हें प्रधानाचार्य का वेतनमान नहीं दिया जा रहा है। इस अस्थाई व्यवस्था से न केवल प्रधानाचार्यो का आर्थिक शोषण हो रहा है, बल्कि उन्हें अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्ति करवाने व आवेदन करने में भी समस्याएं पेश आ रही हैं। वर्तमान में जिस प्रकार से केंद्रीय विद्यालयों में प्रधानाचार्यो के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मागे जा रहे हैं, उसमें दर्शाई गई योग्यता को प्रदेश के अधिकतर प्रधानाचार्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। मंच के नेताओं ने कहा कि ऐसे में न तो प्रधानाचार्यो को नए वेतन आयोग के अनुसार वेतन दिया जा रहा है और न ही नियमित किया जा रहा है। इस कारण प्रदेश के कई प्रधानाचार्य परेशानी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्व सैनिकों को दी जा रही वरिष्ठता को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से असंवैधानिक घोषित करने के बाद भी विभाग ने अभी तक उनकी पदोन्नतियों को खारिज नहीं किया है। इस कारण नियमित नियुक्तियों में परेशानी हो रही है। इससे आम अध्यापकों में भी रोष है। शिक्षक मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि वे शिक्षा मंत्री व विभाग के शिक्षा के सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हैं, लेकिन प्रदेश की पाठशालाओं में कार्यरत प्रधानाचार्यो की नियुक्तियों को शीघ्र नियमित किया जाए, ताकि 10 वर्षो से आर्थिक व मानसिक परेशानी झेल रहे प्रधानाचार्यो को राहत दी जा सके। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को सम्मान देकर प्रदेश के पूर्व सैनिकों को असंवैधानिक तौर पर दी गई पदोन्नतियों को भी शीघ्र समाप्त किया जाए और उन्हें उनके मूल पदों पर वापस भेजा जाए, ताकि उनके स्थान पर योग्य अध्यापकों की पदोन्नति हो सके।

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