चुनौतियों के बावजूद संस्कृति को कायम रखे हैं तिब्बती : दलाईलामा

तिब्बती समुदाय का नववर्ष लोसर उत्सव मंगलवार को शुरू हुआ। तीन दिवसीय लोसर उत्सव की शुरूआत मंगलवार को मुख्य बौद्ध मंदिर में विशेष पूजा के साथ हुआ। इस दौरान तिब्बती धर्मगुरू दलाईलामा और प्रधानमंत्री डॉ. लॉबसांग सांग्ये ने भी समुदाय के सभी लोगों को नववर्ष की बधाई दी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Feb 2019 08:52 PM (IST) Updated:Tue, 05 Feb 2019 08:52 PM (IST)
चुनौतियों के बावजूद संस्कृति को 
कायम रखे हैं तिब्बती : दलाईलामा
चुनौतियों के बावजूद संस्कृति को कायम रखे हैं तिब्बती : दलाईलामा

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बती समुदाय का लोसर उत्सव (नववर्ष) मंगलवार को शुरू हुआ। तीन दिवसीय उत्सव की शुरुआत मंगलवार को मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में विशेष पूजा के साथ हुई। इस दौरान धर्मगुरु दलाईलामा और निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांग्ये ने समुदाय के लोगों को नववर्ष की बधाई दी। इस मौके पर दलाईलामा ने कहा, चुनौतियों के बावजूद तिब्बती समुदाय के लोग अपनी संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। उत्सव के दौरान मैक्लोडगंज में तिब्बती बाजार बंद रहेगा। लोसर के दौरान मांस का सेवन वर्जित रहेगा। तिब्बती कैलेंडर के मुताबिक यह 2146 वां वर्ष है। इस दौरान चुगलाखंग बौद्ध मठ व ला ग्यारी के अलावा विश्वभर में शांति के लिए विशेष प्रार्थना सभाएं होंगी। तिब्बती समुदाय के लोगों को लोसर उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। चुनौतीपूर्ण अवधि का सामना करने के बावजूद, हमने तिब्बत की संस्कृति, धर्म व मान्यता को सफलतापूर्वक खींचा है। यह तिब्बत में तिब्बतियों की ओर से दिखाए गई वीरता, साहस, अदम्य भावना और दुनिया भर के तिब्बतियों की ओर से मनाई गई एकता के कारण हुआ है।

-दलाईलामा, तिब्बती समुदाय के धर्मगुरु निर्वासित संसद की ओर से सभी को लोसर उत्सव की बधाई। तिब्बत और बाहर रहने वाले तिब्बती भारत के लोगों के मित्र हैं। दलाईलामा के दूरदर्शी नेतृत्व और तिब्बत के अंदर तिब्बती भाइयों और बहनों की अदम्य भावना के कारण तिब्बतियों का स्वतंत्रता आंदोलन कायम है।

-डॉ. लोबसांग सांग्ये, प्रधानमंत्री निर्वासित सरकार

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