सेवानिवृत्ति के बाद खेती को बनाया सहारा

बकलोह क्षेत्र के निवासी सेना से सेवानिवृत सैनिक सुरेंद्र कुमार गुरुंग ने सेवानिवृति के बाद एक सफल किसान बनकर लोगों के सामने एक मिसाल कायम की है। सेवानिवृत होने के बाद अपने घर के किचन गार्डन से शुरुआत कर सुरेंद्र कुमार गुरुंग वर्तमान में पांच बीघा भूमि पर कृषि कवह बिना रासायनिक खाद्य के उपयोग से पौष्टिक सब्जियां उगा कर हजारों की कमाई कर रहे हैं। जबकि बिना रासायनिक खाद्य से उगाई गई उनकी सब्जियों लहसून हरि मिर्च आदि को बेचने के लिए उन्हें बाजार भी नहीं जाना पड़ता। लोग उनके खेतों में ही पहुंचकर सब्जियां खरीद कर ले जाते हैं। सुरेंद्र कुमार गुरुंग ने बताया कि सेना से

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Nov 2019 06:08 PM (IST) Updated:Sun, 10 Nov 2019 06:31 AM (IST)
सेवानिवृत्ति के बाद खेती को बनाया सहारा
सेवानिवृत्ति के बाद खेती को बनाया सहारा

संवाद सहयोगी, बकलोह : बकलोह क्षेत्र के निवासी सेना से सेवानिवृत्त सैनिक सुरेंद्र कुमार गुरुंग ने सेवानिवृत्ति के बाद एक सफल किसान बनकर लोगों के सामने एक मिसाल कायम की है। सेवानिवृत्त होने के बाद अपने घर के किचन गार्डन से शुरुआत कर सुरेंद्र कुमार गुरुंग वर्तमान में पांच बीघा भूमि पर बिना रासायनिक खाद्य के उपयोग से पौष्टिक सब्जियां उगा कर हजारों की कमाई कर रहे हैं। जबकि बिना रासायनिक खाद्य से उगाई गई उनकी सब्जियों, लहसुन, हरि मिर्च आदि को बेचने के लिए उन्हें बाजार भी नहीं जाना पड़ता। लोग उनके खेतों में ही पहुंचकर सब्जियां खरीद कर ले जाते हैं। सुरेंद्र कुमार गुरुंग ने बताया कि सेना से सेवानिवृत्ति के बाद से ही वह कृषि कार्य से जुड़ गए थे। पहले तो अपने घरेलू उपयोग के लिए साग सब्जियां उगाने लगे बाद में इस कार्य को बड़े स्तर पर करने लगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने अपने खेतों में उगाई 100 किलो हल्दी व 80 किलो लहसुन बिक्री किया। जबकि साग व अन्य सब्जियां इत्यादि भी लोग उनके खेतों में ही आकर खरीद कर ले जाते हैं। गुरुंग ने बताया कि वर्तमान में उन्होंने अपने खेतों में गन्ना, अदरक, मूली, राई का साग की फसल तैयार की है और वो भी दिन में महज चार से पांच घंटे काम करके। उन्होंने बताया कि बिना रासायनिक खाद्य से तैयार साग सब्जियां स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती हैं। लिहाजा लोगों को बिना रासायनिक खाद्य का उपयोग किए अपने खेतों में साग सब्जियां व अन्य फसलें लगानी चाहिएं।

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