मणिमहेश यात्रा: शिव चेलों ने राधा अष्‍टमी पर दोपहर एक बजे पार की डल झील, 60 लोगों ने निभाई रस्‍में

Manimahesh Yatra कोविड-19 महामारी के बीच उत्तर भारत की प्रसिद्ध श्री मणिमहेश यात्रा का शाही राधाष्टमी स्नान मंगलवार को सुबह दस बजकर पांच मिनट पर शुरू हुआ।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 04:17 PM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 04:17 PM (IST)
मणिमहेश यात्रा: शिव चेलों ने राधा अष्‍टमी पर दोपहर एक बजे पार की डल झील, 60 लोगों ने निभाई रस्‍में
मणिमहेश यात्रा: शिव चेलों ने राधा अष्‍टमी पर दोपहर एक बजे पार की डल झील, 60 लोगों ने निभाई रस्‍में

भरमौर, जेएनएन। कोविड-19 महामारी के बीच उत्तर भारत की प्रसिद्ध श्री मणिमहेश यात्रा का शाही राधाष्टमी स्नान मंगलवार को सुबह दस बजकर पांच मिनट पर शुरू हुआ। इस दौरान शिव चेलों ने दोपहर करीब एक बजे मणिमहेश झील को पार किया। इसके बाद भरमौर प्रशासन व ट्रस्ट द्वारा अनुमति प्राप्त करने वाले करीब 60 मुख्य लोगों ने स्नान किया। इस बार की मणिमहेश यात्रा महज रस्मों की अदायगी तक ही सीमित रही।

सोमवार को शिव चेले, पुजारी व वाद्य यंत्री मणिमहेश के लिए रवाना हुए थे। आम श्रद्धालुओं को मणिमहेश यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं दी गई है। चंबा से दशनामी अखाड़ा चंबा की देव छड़ी के 11 मुख्य कारदारों व शिव उपासकों को अनुमति चंबा प्रशासन द्वारा राधा अष्टमी के शाही स्नान के लिए प्रदान की गई थी। भरमौर प्रशासन द्वारा कार्तिक स्वामी कुगति के चार चेले, हड़सर के चार पुजारियों, ग्राम पंचायत सचूईं के 12 शिव चेलों को व चार वाद्य यंत्रियों के अलावा यात्रा से जुड़े अन्य जरूरी लोगों को डल झील पर जाने की अनुमति प्रदान की गई थी।

इस दौरान किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान नवाला आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई। धन्छो व डल झील पर पर्वतारोहण संस्थान भरमौर द्वारा लगाए गए टेंट में रहने की व्यवस्था 26 अगस्त तक है। इस बार किसी भी प्रकार के व्यवसायिक गतिविधि पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहा। यात्रा के दौरान शारीरिक दूरी व फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया था।

डल झील पर नायब तहसीलदार होली बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट तथा रेस्क्यू टीम भी तैनात रही। उधर, एडीएम भरमौर पीपी सिंह ने कहा कि राधाष्टमी के शाही स्नान को लेकर जिन लोगों को अनुमति प्रदान की गई थी। वही, लोग रस्मों की अदायगी करने पहुंचे थे। कोविड-19 महामारी के कारण यात्रा से जुड़े लोगों के अलावा अन्य किसी भी व्यक्ति को झील पर जाने की अनुमति प्रदान नहीं की गई।

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