खंजरी व रवाना की ताल पर सैकड़ों लोग हुए मंत्रमुग्ध

By Edited By: Publish:Sun, 31 Aug 2014 01:00 AM (IST) Updated:Sun, 31 Aug 2014 01:00 AM (IST)
खंजरी व रवाना की ताल पर सैकड़ों लोग हुए मंत्रमुग्ध

संवाद सूत्र, भरमौर : एक ओर मणिमहेश यात्रियों का नृत्य तो दूसरी ओर मेले में सजी दुकानें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थीं। इन सब में लोगों को उतना आकर्षण नहीं दिखा, जितना कि पितेश की खंजरी व खाने के स्वरों में था। नौ वर्ष का एक बालक एक वृद्ध महिला के साथ पारंपरिक मुसादा गायन में तल्लीन था। चौरासी मंदिर परिसर में सैकड़ों लोग एक टक उन्हें निहारे जा रहे थे। उसकी अंगुलियों में जादू था तो आवाज में ऐसी मिठास थी कि हर कोई उसके पास आकर मंत्रमुग्ध हो जाता।

भरमौर विस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली गैहरा पंचायत का पितेश अभी चौथी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन उसके दादा-दादी ने अपनी पारंपरिक विरासत को इस नन्हे बालक के भीतर मानो उड़ेल दिया है। पितेश के साथ युगल मुसादा गाने वाली उसकी दादी हीलो देवी ने बताया कि उसके चार पोते-पोतियों में पितेश सबसे छोटा है। दादा-दादी से लगाव होने के कारण वह उनके साथ अधिक वक्त बिताता है, जिस कारण वह मुसादा गायन में कुशल हो रहा है। बकौल हिलो देवी पितेश रागों पर आधारित मुसादा गायन पर ध्यान दे रहा है। अगर इसी तेजी से वह मुसादा गायन सीखता रहा तो आने वाले समय में चंबा के बेहतरीन मुसादा गायकों में अपनी जगह बनाने में कामयाब होगा। चूंकि उसे सिखाने के लिए हमारे पास इतना वक्त नहीं होता है, लेकिन फिर भी वह स्कूल से आकर सीखने की जिद्द करता है। वहीं पितेश ने कहा कि उसे खिलौनों का बहुत शौक है। खिलौने लेने की खातिर ही वह अपनी दादी को जिद्द करके भरमौर के मेलों में ले आया है, जहां खिलौने भी खरीदे हैं।

ग्राम पंचायत भरमौर के प्रधान शिव चरण कपूर ने बताया कि इस छोटे से बच्चे में इतना हुनर भरा है इसके बारे में उन्हें पता ही नहीं था। अन्यथा वे इसे पंचायत द्वारा प्रायोजित सांस्कृतिक संध्याओं में अवश्य कार्यक्रम पेश करने का मौका देते।

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