इन बर्तनों में छिपा है सेहत का राज

मैटल में पका भोजन शरीर के लिये हानिकारक होता है जबकि मिट्टी के बर्तनों में पका भोजन स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद होता है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sat, 13 Aug 2016 01:05 PM (IST) Updated:Sat, 13 Aug 2016 01:18 PM (IST)
इन बर्तनों में छिपा है सेहत का राज

भारत में कई हजार वर्ष पूर्व खाना पकाने और खाने के लिये मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी के बर्तनों में पका खाना खाने से हमारा शरीर बहुत से रोगों से दूर रहता है।

आज से लगभग 200 वर्ष पहले ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होना बंद हो गया था और लोग एल्युमिनियम के बर्तनों का प्रयोग करने लगे थे। मैटल में पका भोजन शरीर के लिये हानिकारक होता है जबकि मिट्टी के बर्तनों में पका भोजन स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद होता है।

आयुर्वेद के अनुसार धीमी आंच पर पका हुआ भोजन स्वादिष्टï तो होता ही है साथ ही शरीर के लिये पौष्टिïक भी होता है। ये शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखता है। समय की कमी के कारण आजकल सभी घरों में कुकर का प्रयोग किया जाता है जो एल्युमीनियम का बना हुआ होता है। सेहत के लिये इसका प्रयोग बेहद खतरनाक होता है क्योंकि कुकर भोजन को पकाता नही बल्कि उसे भाप से गलाता है। इसलिये जल्दबाजी में पकाया गया ये खाना स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह होता है। जिससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पैरालाइसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मिट्टी से हमारे शरीर को 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मिलते हैं हमारे शरीर के लिये लाभदायक होते हैं।

क्यों नुकसानदेह है मैटल के बर्तनों में पका भोजन

-पीतल के बर्तन में पके खाने में 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्टï हो जाते हैं।

- कांसे के बर्तन में खाना बनाने से 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

- कुकर में पके खाने में 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

- केवल मिट्टी के बर्तन में पके खाने से हमें 100 प्रतिशत पौष्टिïक तत्व मिलते हैं इसके साथ ही ये खाना जायकेदार भी होता है।

क्यों फायदेमंद है मिट्टी के बर्तनों में पका भोजन

-शत-प्रतिशत मिट्टी के बर्तनों में धातु नहीं होती और केमिकल भी नहीं होता है। खाद्य पदार्थों को नुकसान पहुंचाने वाला सीसा मिट्टी के बर्तनों में नहीं पाया जाता है और नुकसानदायक कैडमियम तत्व भी नहीं होता है।

-मिट्टी के बर्तनों में प्लास्टिक, डाई, माइका आदि नहीं होता है। इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फासफोरस जैसे प्राकृतिक रूप से लाभकारी खनिज पाए जाते हैं। जिसका प्रकृति और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

-मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से बर्तन के रासायनिक तत्व खाने में मिलने पर उसे दूषित नहीं करते जैसे- धातु के बर्तन में पकाने से खाने में धातु मिल जाती है और शरीर को नुकसान पहुंचाती है।

-मिट्टी के बर्तनों में भाप का उपयोग खाना बनाने में ठीक से नियंत्रित होता है। इससे खाने के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। साथ ही घी, तेल का उपयोग भी बहुत कम होता है। खाना अपने तेल व रस से ही पकता है।

-इन बर्तनों में खाना धीरे-धीरे और समान रूप से पकता है और पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। आजकल के बर्तनों में आंच समान रूप से नहीं लगती है, बस भोजन जल्दी पक जाता है।

-मिट्टी के बर्तनों में पके खाने में मसाले आदि ठीक से पक जाते हैं।

-इन बर्तनों में खाना काफी समय तक गरम बना रहता है। इस प्रकार बिजली की भी बचत होती है।

-मिट्टी के बर्तनों की उपयोगिता को समझ उसमें खाना पकाने से मिट्टी से जुड़े लोगों को काम मिलेगा और हमें स्वास्थ्यकर भोजन।

हममें से अधिकांश लोग इन तथ्यों से सहमत हैं लेकिन आजकल के बिजी लाइफस्टाइल के कारण ऐसा कर पाना हम सब के लिये संभव नही है। लेकिन अगर आप लंबी उम्र पाना चाहते हैं और शरीर को रोगमुक्त रखना चाहते हैं तो मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करने में कोई हर्ज नही है।

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