जवाहर नवोदय विद्यालय में छात्र को स्वाइन फ्लू, प्रकोप जारी

ृनंबर गेम 09 केस आ चुके अब तक स्वाइन फ्लू के सामने 02 मौतें भी इस वर्ष में स्वाइन फ्लू से हो चुकी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 06:20 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 06:20 PM (IST)
जवाहर नवोदय विद्यालय में छात्र को स्वाइन फ्लू, प्रकोप जारी
जवाहर नवोदय विद्यालय में छात्र को स्वाइन फ्लू, प्रकोप जारी

ृनंबर गेम

09 केस आ चुके अब तक स्वाइन फ्लू के सामने

02 मौतें भी इस वर्ष में स्वाइन फ्लू से हो चुकी जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

ठंड कम हो गई। इसके बाद भी जिले में स्वाइन फ्लू का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। जनवरी माह से अब तक नौ मरीज स्वाइन फ्लू के सामने आ चुके हैं। दो मरीजों की मौत भी हो चुकी हैं। अब जवाहर नवोदय विद्यालय के एक छात्र को भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। शुक्रवार को परिजन उसे सिविल अस्पताल में लेकर आए। यहां से उसे पीजीआइ के लिए रेफर कर दिया। परिजनों का दावा है कि जवाहर नवोदय विद्यालय में एक दर्जन छात्र और स्वाइन फ्लू से पीड़ित हैं। इन छात्रों को विद्यालय से छुट्टी दी गई है। तीन कैटेगरी हैं स्वाइन फ्लू की

डॉक्टरों के अनुसार नवंबर से मार्च के पहले हफ्ते तक स्वाइन फ्लू अधिक फैलने की संभावना रहती है। स्वाइन फ्लू की तीन कैटेगरी बनाई गई हैं। इसमें ए, बी और सी कैटेगरी रखी है। ए और बी में सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार और सांस लेने में तकलीफ के मरीजों को रखा जाता है। इनका तुरंत इलाज शुरू किया जाता है। जबकि सी कैटेगरी में गंभीर मरीजों को रखा जाता है। इस कैटेगरी में मरीज और वेंटीलेटर पर होता है। स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों के परिजनों को भी बी कैटेगरी में रखकर तुरंत दवा शुरू की जाती है।

स्वाइन फ्लू आंकड़ों की जुबानी

आंकड़ों की बात करें तो 2015 में 16 केस स्वाइन फ्लू के सामने आए थे। इस दौरान एक मरीज की मौत हुई थी। जबकि 2016 में पांच व 2017 में नौ केस सामने आ चुके हैं। बीते दो साल में स्वाइन फ्लू से कोई मौत नहीं हुई है। 2018-19 में दो मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी हैं। हालांकि विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि इस मरीज को स्वाइन फ्लू था, लेकिन इसके साथ ही उन्हें डायबिटीज और बीपी की भी बीमारी थी। इसकी वजह से ही संभवतया उनकी मौत हुई है। 2018-19 में अब तक नौ केस स्वाइन फ्लू के सामने आ चुके हैं, जबकि 15 से 20 मामले संदिग्ध हैं। इंतजाम के नाम पर सिर्फ एक कमरा

स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू के अलर्ट को देखते हुए अलग से वार्ड बना दिया था। वार्ड के नाम पर केवल एक कमरा बनाया गया। इसमें भी कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहां तक कि इस कमरे में अन्य मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। यहां पर यदि कोई स्वाइन फ्लू का मरीज आता है, तो उसे तुरंत रेफर किया जा रहा है। जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रधानाचार्य सुखबीर ¨सह का कहना है कि स्वाइन फ्लू से कोई भी छात्र पीड़ित नहीं है। बुखार या वायरल की जरूर छात्रों को शिकायत रहती है तो उन्हें परिजनों के साथ भेज दिया जाता है। शुक्रवार को एक केस स्वाइन फ्लू का आया था। उसे रेफर किया गया है। उसकी रिपोर्ट भी प्राइवेट लैब की थी। स्वास्थ्य विभाग में केवल एनसीडी दिल्ली या पीजीआइ की रिपोर्ट मान्य है। जो केस उनके पास आया था। उसे फॉलो किया जा रहा है।

डॉ. वागीश, डीएचओ। स्वाइन फ्लू के लक्षण और बचाव

बुखार, खांसी, गला दर्द, उल्टी आना, दस्त और सांस लेने में दिक्कत है तो यह स्वाइन फ्लू हो सकता है। इससे बचाव के लिए खांसते, छींकते समय मुंह पर कपड़ा या रुमाल रखें। भीड़-भाड़ वाली जगह पर न जाएं। आंख, कान, मुंह को छूने से पहले हाथ साबुन से धोएं, बुखार, गला खराब, जुकाम या खांसी वाले मरीज कम से कम एक-एक बाजू की दूरी रखें। यदि फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो ठीक होने तक घर पर ही रहें और अधिक लोगों से मिले। यदि बच्चा बीमार हो, तो उसे स्कूल में न भेजे। पूरी नींद लेनी चाहिए, तनाव से दूर रहना चाहिए और अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए।

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