दो स्टार वाले राजाखेड़ी गांव में नहीं स्टेडियम

तीन सौ साल पहले आबाद हुए राजाखेड़ी गांव में पंचायती जमीन नहीं है। विकास कार्य तो कराए गए लेकिन गांव में खेल स्टेडियम नहीं बना है। युवा निजी कोचिग सेंटरों जाकर प्रशिक्षण लेते हैं। जन प्रतिनिधि युवाओं को भरोसा दिलाते हैं लेकिन पांच साल में वो सुविधा नहीं मिल पाती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Sep 2019 06:20 AM (IST) Updated:Mon, 16 Sep 2019 06:57 AM (IST)
दो स्टार वाले राजाखेड़ी गांव में नहीं स्टेडियम
दो स्टार वाले राजाखेड़ी गांव में नहीं स्टेडियम

अजय सिंह, पानीपत

तीन सौ साल पहले आबाद हुए राजाखेड़ी गांव में पंचायती जमीन नहीं है। विकास कार्य तो कराए गए लेकिन गांव में खेल स्टेडियम नहीं बना है। युवा निजी कोचिग सेंटरों जाकर प्रशिक्षण लेते हैं। जन प्रतिनिधि युवाओं को भरोसा दिलाते हैं लेकिन पांच साल में वो सुविधा नहीं मिल पाती है। साफ-सफाई के क्षेत्र में बेहतर होने और ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं देने में गांव को प्रदेश सरकार दो स्टार देकर सम्मानित कर चुकी है। आबादी : 8800

वोटर : 4000

साक्षरता : 85-95 फीसद इतिहास

तीनों ऐतिहासिक लड़ाइयों के गवाह बने राजाखेड़ी गांव में राजाओं की सेना का पड़ाव डाला गया था। युद्ध का बिगुल बजने पर यहीं से सेना रण के लिए रवाना होती थी। इसी कारण इस गांव को राजाखेड़ी के नाम से पहचाना जाने लगा। वहीं राजाओं के शासनकाल के दौरान दहाड़(गांवों में नरसंहार करने वाली सेना) आती थी तो गांव के ही राजकर्ण ने उसकी मां के आदेशों पर हाथ जोड़ उनके गांव को नुकसान नहीं पहुंचाने का आग्रह किया था। जिसे उस समय के राजा ने स्वीकार किया। विशेषता

गांव में हाईकोर्ट के वकील आरके मलिक ने लगभग 2.20 करोड़ रुपये की लागत से बैंक्वेट हॉल और पार्क का निर्माण कराया है। बैंक्वेट हाल में ग्रामीण अपने धार्मिक कार्यक्रमों, शादी समारोह आदि का आयोजन कराते है। गांव में चार मंदिर भी है। हरियाली से भरपूर इस सरकारी स्कूल को 26 जनवरी 2018 को अवार्ड मिल चुका है। तीन प्रमुख समस्याएं

समस्या नंबर 1 :

ओवरलोड वाहनों ने बढ़ाई वाहन चालकों की परेशानी

यमुना नदी से रेत खनन के बाद मिट्टी लोड करके ओवरलोड डंपर राजाखेड़ी गांव से गुजरते है। वहीं आस-पास स्थित ईंट-भट्ठों के वाहन भी गांव से ही गुजरते है। इनमें से उड़ने वाली मिट्टी के कारण दोपहिया वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है। वहीं गांव की मुख्य सड़क बार-बार टूट जाती है। समस्या नंबर 2 :

दिन में 8 घंटे बिजली रहती है गुल

गांव में दिनभर में महज 16 घंटे बिजली आती है। सुबह साढ़े छह बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक और दोपहर चार बजे से साढ़े छह बजे तक बिजली नहीं आती। इस दौरान भी कई बार बिजलीकर्मी सप्लाई बंद कर देते है। जिससे ग्रामीणों को दैनिक कामकाज करने में काफी परेशानी होती है। समस्या नंबर 3:

कूड़़ा डालने के नहीं है डंपिग प्वाइंट

गांव में साफ-सफाई बढि़या है, लेकिन कोई डंपिग प्वाइंट नहीं होने के कारण ग्रामीण गलियों में कूड़ा डाल देते है। जो कुछ समय बाद उड़कर नालियों में चला जाता है। जिससे नालियां जाम हो जाती है। ग्रामीण कई बार अधिकारियों से कूड़ेदान रखवाने की मांग कर चुके है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोट्स:-

गांव में स्टेडियम का निर्माण कराए सरकार

फोटो नं - 101

गांव में पंचायती भूमि नहीं होने के कारण आजतक स्टेडियम नहीं बना। खेलों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को निजी कोचिग सेंटरों पर जेब कटवानी पड़ रही है। सरकार को जमीन देकर युवाओं की खेल प्रतिभा के विकास के लिए स्टेडियम का निर्माण कराना चाहिए।

आशु, ग्रामीण किसानों को महज आठ घंटे मिल रही बिजली

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गांव के अधिकतर परिवार आज भी खेतीबाड़ी और पशुपालन पर निर्भर हैं। किसानों को महज आठ घंटे बिजली मिलती है। खेतीबाड़ी के कामकाज पूरे करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बिजलीकर्मियों को दिन में कम से कम 12 घंटे बिजली सप्लाई करनी चाहिए।

रतन लाल श्योराण, ग्रामीण सफाईकर्मियों की संख्या बढ़े तो होगा फायदा

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गांव में 8800 की आबादी होने के बावजूद महज दो सफाईकर्मियों की नियुक्ति की गई है, जो काफी काम है। सफाई कर्मचारी गलियों और नालियों की नियमित रूप से सफाई नहीं कर पाते, जिससे कूड़ा नालियों में चला जाता है। दो और सफाईकर्मियों की नियुक्ति हो तो परेशानी दूर होगी।

अंगूरी देवी, ग्रामीण काफी प्रयासों से बनी डिस्पेंसरी, अब होगा फायदा

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ग्रामीणों को कोई भी बीमारी होने पर इलाज के लिए शहर के अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब ग्राम सरपंच अनीता के परिवार ने जगह देकर डिस्पेंसरी का निर्माण कराया है। अब कोई छोटी बीमारी होने पर शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

राज, ग्रामीण गोहर पक्के कराने की है जरूरत

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गांव में गोहर (खेतों तक जाने वाला रास्ता) पक्के करवाने चाहिए। बरसाती मौसम में किसानों को खेतों तक जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार ग्राम पंचायत से मांग करने और अधिकारियों को पत्र भेजने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

रणधीर सिंह मलिक, ग्रामीण नियमित रूप से हो कूड़े का उठान

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घरों का कूड़ा नालियों में जाने के कारण मुख्य नाला जाम हो जाता है। ग्राम पंचायत को नियमित रूप से कूड़ा उठान कराना चाहिए। ताकि मुख्य नाला और नालियां जाम होकर ओवरफ्लो ना हो। ट्रैक्टर-ट्राली के माध्यम से कूड़ा उठान हो तो यह समस्या ही खत्म हो जाएगी।

चत्तर सिंह, ग्रामीण

जन प्रतिनिधि : स्टेडियम और कोच की समस्या दूर करे सरकार

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गांव के युवा शिक्षा और खेल के क्षेत्र में काफी आगे है। सरकार को गांव में खेल स्टेडियम का निर्माण कराकर और कोच उपलब्ध कराकर खिलाड़ियों का सपना पूरा करे। युवाओं की परेशानी दूर होगी। देश का नाम रोशन करेंगे।

देव मलिक, जिला पार्षद तेजी से हो रहे विकास कार्य

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गांव में तेजी से विकास कार्य कराये जा रहे है। मैंने परिवार की जमीन देकर डिस्पेंसरी का निर्माण कराया है। गांव में ट्रैक्टर-ट्राली से कूड़ा उठवाने के लिए अधिकारियों से बातचीत जारी है। पंचायती भूमि नहीं होने के कारण अभी तक स्टेडियम का निर्माण नहीं हो पाया।

अनिता देवी, सरपंच

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