साइकिल पर पर्यावरण बचाने का संदेश, छह साल में लगाए 83 हजार पौधे

स्कूल में अध्यापक द्वारा पौधों के संरक्षण के लिए लालच में दिए चाकलेट ने पर्यावरण प्रेमी बना दिया। बस फिर क्या था साइकिल उठाई और निकल पड़ा पूरे भारत के लोगों को पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने। साइकिल यात्रा का जहां रात्रि ठहराव होता वहां रुककर युवाओं के सहयोग से चार पौधे लगाते और लोगों को देते भी हैं। यह कहानी है राजस्थान के जिला बाडमेर के गांव लंगेरा निवासी नरपत ¨सह राजपुरोहित की। वे अपनी साइकिल पर जम्मू से निकले हैं कन्याकुमारी तक का चक्कर लगाने के लिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Feb 2019 09:30 AM (IST) Updated:Tue, 26 Feb 2019 09:30 AM (IST)
साइकिल पर पर्यावरण बचाने का संदेश, छह साल में लगाए 83 हजार पौधे
साइकिल पर पर्यावरण बचाने का संदेश, छह साल में लगाए 83 हजार पौधे

पंकज बतरा, बिलासपुर : स्कूल में अध्यापक द्वारा पौधों के संरक्षण के लिए लालच में दिए चाकलेट ने पर्यावरण प्रेमी बना दिया। बस फिर क्या था साइकिल उठाई और निकल पड़ा पूरे भारत के लोगों को पौधरोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने। साइकिल यात्रा का जहां रात्रि ठहराव होता वहां रुककर युवाओं के सहयोग से चार पौधे लगाते और लोगों को देते भी हैं। यह कहानी है राजस्थान के जिला बाडमेर के गांव लंगेरा निवासी नरपत ¨सह राजपुरोहित की। वे अपनी साइकिल पर जम्मू से निकले हैं कन्याकुमारी तक का चक्कर लगाने के लिए। सोमवार को बिलासपुर पहुंचने पर बिकानेर मिष्ठान के संचालक जसवंत ¨सह ने कस्बे के युवाओं के साथ मिलकर फूल मालाओं ने उनका स्वागत किया।

नरपत ¨सह ने बताया कि पूरे भारत वर्ष की यात्रा का शुभारंभ जम्मू एयरपोर्ट से 27 जनवरी को किया था। रोजाना चार पौधे लगाता हूं ताकि साइकिल यात्रा के माध्यम से देशभर लोगों में शिक्षा, पर्यावरण और स्वस्थ्य के प्रति जागरूकता लाई जा सके। उसने देश के विभिन्न नगरों, शहरों व कस्बों में 24 हजार किलोमीटर सफर तय करने का लक्ष्य रखा है। उसके प्रेरणास्त्रोत साइकिलिस्ट मदन ¨सह राजपुरोहित हैं। गत छह वर्षों में की गई साइकिल यात्रा के दौरान नरपत ¨सह 83000 से ज्यादा पौधे ला चुके हैं। उसका लक्ष्य 24000 किलोमीटर से अधिक साइकिल यात्रा करके विश्व रिकार्ड बनाना है।

छठी बार शुरू की यात्रा

नरपत ¨सह ने बताया कि पहली यात्रा का शुभारंभ 2016 में 500 किलोमीटर की जो कि पांच दिन में पूरी हुई। इसके बाद 200 किलोमीटर की यात्रा नौ घंटे में पूरी हुई। फिर 4000 किलोमीटर की यात्रा की जो कि 43 दिनों में पूरी की। अब जम्मू से 24 हजार किलोमीटर की यात्रा के सफर को साइकिल के माध्यम से पूरा करना है। इन सभी यात्राओं के दौरान रास्ते में आने सभी ठहराव व शहरों, नगरों व कस्बों में पौधरोपण किया है। यात्रा के दौरान जीव जंतुओं का भी सरंक्षण किया

नरपत ¨सह ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में गुजरते हुए रास्ते में शिकार से ग्रस्त घायल 132 हिरण, 5 मोर, 4 मोरनी, 4 खरगोश, एक नील गाय, एक बाज, व उल्लू की जान बचा कर जंगल में छोड़ा। इस दौरान दो शिकारियों को भी पकड़ा। इसके साथ पक्षियों के लिए 2300 पौधे लगाए, ताकि उन्हें आसरा मिल सके। इसके अतिरिक्त 11 बार रक्तदान भी कर चुके है। इसके साथ-साथ जितने भी पौधे लगाए गए हैं उनमें से 70 प्रतिशत से अधिक पौधों का सरंक्षण भी युवाओं के द्वारा किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा अपने घर से ही शुरू किया था। राजस्थान में पहली दफा दहेज प्रथा को न मानते हुए बहन की शादी में 251 पौधे दहेज के रूप में बारातियों को दिए।

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