अस्पताल में बिगड़ी व्यवस्था, रास्ते में खड़े जाम से हर कोई परेशान

सिविल अस्पताल में जब से नए भवन का निर्माण शुरू हुआ तब से यहां की व्यवस्था बिगड़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 10:30 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jan 2020 10:30 AM (IST)
अस्पताल में बिगड़ी व्यवस्था, रास्ते में खड़े जाम से हर कोई परेशान
अस्पताल में बिगड़ी व्यवस्था, रास्ते में खड़े जाम से हर कोई परेशान

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जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सिविल अस्पताल में जब से नए भवन का निर्माण शुरू हुआ तब से यहां की व्यवस्था बिगड़ गई है। मरीजों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें कहां से पर्ची बनवानी है और किस रोग का डाक्टर कहां पर बैठेगा। उपचार कराने आए मरीजों का आधा समय तो डाक्टर तक पहुंचने में ही लग जाता है। जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पर्ची बनवाने से लेकर दवा लेने तक मरीजों व उनके तिमारदारों को लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। बेतरतीब खड़े हैं वाहन :

अस्पताल में एंट्री करने से लेकर ट्रामा सेंटर तक वाहनों की लंबी लाइन लगी रहती है। मरीज व उनके साथ आए परिजन अपने वाहनों को रास्ते में ही खड़ी कर देते हैं। जिससे अस्पताल की सड़कों पर हर समय जाम लगा रहता है। पीछे से आने वाले पहले आगे खड़े वाहनों के हटने का इंतजार करते हैं ताकि उन्हें रास्ता मिल सके। लेकिन कई लोग तो वाहन खड़े कर चले जाते हैं। घंटों बाद लौटते हैं। रास्ते में खड़े वाहनों को हटाने के लिए अस्पताल का स्टाफ इनके चालकों को तलाशता रहता है। इसके अलावा कीचड़ भी लोगों को परेशान कर रहा है। जिस रास्ते से मरीजों को डाक्टर तक पहुंचना है उस पर कीचड़ फैला हुआ है। एंबुलेंस के मुड़ने का भी रास्ता नहीं :

ट्रामा सेंटर के सामने सभी वाहन आड़े तिरछे खड़े रहते हैं। जबकि यहां समय-समय पर एंबुलेंस सड़क हादसों में घायल लोगों को लेकर आती रहती है। परंतु ट्रामा के सामने इतनी भी जगह नहीं है कि बाहर से आई एंबुलेंस को मोड़ा जा सके। जबकि घायल को उपचार देने के लिए एक-एक मिनट कीमती होता है। अस्पताल का स्टॉफ भी इन वाहनों को एक तरफ नहीं लगवाता जिससे रास्ता साफ हो सके। कई माह से नहीं हो रहे अल्ट्रासाउंड :

सिविल अस्पताल में कई माह से मरीजों के अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे। क्योंकि मशीन खराब हैं। मरीज आते हैं और बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही वापस चले जाते हैं। अब तो हताश होकर अल्ट्रासाउंड वाले कमरे के सामने स्टॉफ ने अलमारी खड़ी कर दी है। मरीजों को पता ही नहीं चलता कि अल्ट्रासाउंड कहां पर होता है। बाहर बैठे कर्मचारी ने बताया कि मशीन कब ठीक होगी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन इसे ठीक करने पर लाखों रुपये खर्च जरूर आएगा।

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