पांच गांवों की 200 एकड़ फसल जलमग्न, आबादी में घुस रहा पानी
पश्चिमी यमुना नहर की सेम व सीवरेज लाइन की ब्लॉकेज पांच गांवों के लिए आफत बन गई है। 200 एकड़ फसल जलमग्न है। आबादी में भी पानी घुस रहा है। हालात दिनों-दिन बिगड़ रहे हैं। गांवों में बीमारियां फैलने लगी हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
पश्चिमी यमुना नहर की सेम व सीवरेज लाइन की ब्लॉकेज पांच गांवों के लिए आफत बन गई है। 200 एकड़ फसल जलमग्न है। आबादी में भी पानी घुस रहा है। हालात दिनों-दिन बिगड़ रहे हैं। गांवों में बीमारियां फैलने लगी हैं।
ये गांव प्रभावित
शादीपुर, दौलतपुर, हमीदा, गढ़ी व पांसरा के रकबे में इन दिनों हालात खराब हैं। जिस तरफ देखा जाए, बस जल ही जल है। खेतों में खड़ी धान व गन्ने की फसल बर्बाद होने के कगार पर है। जो खेत खाली थे, उनमें किसान फसल की बिजाई नहीं कर पाए। उनका कहना है कि प्रति किसान लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। हालांकि सेम की समस्या हर वर्ष आती है लेकिन इस बार सीवरेज लाइन ब्लॉक होने के कारण स्थिति बेकाबू हो गई है।
पाजुपुर के रकबे में पहुंचा पानी
ग्रामीणों ने बताया कि खेतों में जमा पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। आवर्धन नहर में पानी नहीं निकल पा रहा है। प्रशासन से मोटरें लगाने की मांग की थी, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। शादीपुर रोड पर पुलिया के नीचे से निकासी करवाई और यह पानी पाजुपुर के रकबे तक पहुंच गया है।
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शादीपुर के किसान इंद्रजीत ¨सह नंबरदार ने बताया कि क्षेत्र में हालात बिगड़ चुके हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं। गांव के रास्ते बंद हो चुके हैं। धान व गन्ने की फसल में लंबे समय से पानी जमा होने के कारण यह खराब हो चुकी हैं। सरकार आर्थिक सहायता दे।
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किसान जुलियान का कहना है कि प्रति एकड़ कई-कई हजार रुपये लागत से फसल तैयार की थी, लेकिन अब बर्बाद होने के कगार पर है। पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। सेम की समस्या के साथ-साथ सीवरेज ब्लॉक होने से अधिक परेशानी बढ़ी है।
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किसान इमरान ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों से निकासी की व्यवस्था करवाने की मांग की जा चुकी है। किसान बर्बादी के कगार पर हैं लेकिन अधिकारियों को परवाह नहीं है। पांच गांवों के किसानों में प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति रोष पनप रहा है।
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किसान मोहम्मद ने बताया कि खेतों में खड़ी फसल तो खराब हो ही चुकी है। साथ ही हालात ऐसे हैं कि किसान अगली फसल की बिजाई की स्थिति में भी नहीं है। खेतों में पानी जमा है। यदि समय रहते पानी की निकासी की व्यवस्था न हुई तो स्थिति और भी बेकाबू हो जाएगी। अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए।
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किसान इस्लाम गुर्जर का कहना है कि रकबे में जल भराव के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस समस्या के समाधान की मांग को लेकर बीते दिनों किसानों ने जिला उपायुक्त को ज्ञापन भी दिया था लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। हर वर्ष यहां जल भराव रहता है। यदि एसटीपी लगवा दिया जाए तो स्थायी समाधान हो सकता है।