नौ सौ रुपये के कागज से तैयार करते थे एक लाख के नकली नोट

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कंप्यूटर सेंटर संचालक रूबी ¨सह नौ सौ रुपये के कागज से एक ल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Apr 2017 02:11 AM (IST) Updated:Tue, 25 Apr 2017 02:11 AM (IST)
नौ सौ रुपये के कागज से तैयार करते थे एक लाख के नकली नोट
नौ सौ रुपये के कागज से तैयार करते थे एक लाख के नकली नोट

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कंप्यूटर सेंटर संचालक रूबी ¨सह नौ सौ रुपये के कागज से एक लाख रुपये के नकली नोट तैयार करता था। फिर उन्हें रमेश कुमार उर्फ बिल्लू और अशोक कुमार उर्फ शोकी को दे दिया जाता था। दोनों की ही उन नोटों को मार्केट में चलाने की जिम्मेदारी होती थी।

रूबी ¨सह को नकली नोट बनाने का आइडिया तब आया, जब खुद उसे एक नकली नोट मिला था। उसने बताया कि एक दिन वह बाजार से कुछ सामान खरीद कर लाया था। सामान खरीदने के बदले उसे कुछ नोट मिले। कुछ दिन बाद उसे पता चला कि उनमें सौ का एक नोट नकली है। तब उसे आइडिया आया कि जब नकली नोट उसकी पहचान में नहीं आया, तो वह खुद भी ऐसे नोट तैयार कर बाजार में बेच सकता है। क्योंकि रूबी खुद कंप्यूटर में एक्सपर्ट था, इसलिए एक महीने की कड़ी मशक्कत के बाद उसे इसमें कामयाबी हासिल हुई। उसने सौ रुपये का नोट स्कैन किया और फिर उसका ¨प्रट निकाल कर बाजार में सामान खरीदने गया। बाजार में नकली नोट चलने पर उसका जोश बढ़ गया और वह उत्साह के साथ नकली नोट छापने लगा।

रमेश व अशोक को मिलाया

रूबी ¨सह नकली नोट छापने का काम बड़े स्तर पर करना चाहता था, लेकिन वह अकेले ही नकली नोट छापना और फिर इन्हें मार्केट में नहीं चला सकता था। इसके लिए उसने रमेश और अशोक को अपने साथ मिलाया। ये दोनों पहले उसके कंप्यूटर सेंटर पर काम कर चुके थे, इसलिए आसानी से उसकी बात मान गए। 10 हजार रुपये के नोट के बदले रूबी को एक हजार से 1500 रुपये कमीशन मिलता था। रूबी ¨सह ने बताया कि उसका काम सिर्फ कंप्यूटर से ¨प्रट निकाल कर देने का था। इन नोटों की क¨टग रमेश और अशोक दोनों करते थे।

पांच सौ के भी छापे थे चार नोट

वह सौ रुपये के छोटे नोट छाप कर थक चुका था। इसलिए उसने बड़ा हाथ मारने की प्ला¨नग बनाई। इसलिए उसने पांच सौ रुपये की नई करेंसी वाले नकली नोट छापने की योजना बनाई। इसमें वह काफी हद तक कामयाब हो भी गया, परंतु उसे ऐसा कागज नहीं मिला जो पांच सौ के नए नोट का है, क्योंकि नए नोट का कागज हल्का व कड़क है। दूसरा दुकानदार भी बड़ा नोट लेते समय उसकी जांच करता है, जबकि एक सौ के नोट पर इतनी जल्दी शक नहीं होता था। रूबी ने पांच सौ के सिर्फ चार नकली नोट ही छापे थे। इसके अलावा 50 के नकली नोट भी छापे।

हटा दिया था साइन बोर्ड

बिलासपुर के शिव चौक पर रूबी ¨सह करीब आठ साल से कंप्यूटर सेंटर चला रहा था। अब तक तीन सौ से ज्यादा युवक-युवतियों को कंप्यूटर की ट्रे¨नग भी दे रहा था। इसकी आड़ में वह सेंटर पर नकली नोट भी तैयार कर रहा था। करीब चार माह से वह नकली नोट तैयार करने में जुटा था। किसी को शक न हो इसलिए उसने सेंटर के बाहर से बोर्ड भी उतार दिया था। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि रूबी ¨सह ने सेंटर के बाहर से बोर्ड क्यों उतार दिया था, यह उनकी भी समझ से परे था, लेकिन जब से ये पता चला है कि वह यहां नकली नोट तैयार करता था, तो सुनकर हैरान है। उसे देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वह इतना शातिर हो सकता है।

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