अध्यापिका ने छात्राओं को दी वैदिक आश्रम व्यवस्था की जानकारी

गांव फरमाणा स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की संस्कृत अध्यापिका नीलम रानी ने छात्राओं को वैदिक आश्रम व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भगवान ने मनुष्य के सुख एवं फल भोग के लिए सृष्टि की रचना की है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Nov 2020 06:11 PM (IST) Updated:Thu, 05 Nov 2020 06:11 PM (IST)
अध्यापिका ने छात्राओं को दी वैदिक आश्रम व्यवस्था की जानकारी
अध्यापिका ने छात्राओं को दी वैदिक आश्रम व्यवस्था की जानकारी

जासं, सोनीपत : गांव फरमाणा स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की संस्कृत अध्यापिका नीलम रानी ने छात्राओं को वैदिक आश्रम व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भगवान ने मनुष्य के सुख एवं फल भोग के लिए सृष्टि की रचना की है। यह सृष्टि का प्रवाह अनादि है। इसका न तो कभी आरंभ हुआ है और न ही कभी अंत होगा। यह क्रम सदैव चलता रहेगा। सृष्टि रचना के उपरांत ही भगवान ने मनुष्य सहित सभी प्राणियों की रचना की है।

नीलम रानी ने कहा कि भगवान ने मनुष्य के लिए जीवन के चार पुरुषार्थ की भी रचना की है, जिनमें धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष शामिल हैं। इनको पाने के लिए मनुष्य के जीवन को चार आश्रमों में विभक्त किया है, जिनमें ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास आश्रम शामिल हैं। उन्होंने छात्राओं को इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गृहस्थ आश्रम को सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है। इसमें मनुष्य संतानोत्पत्ति करके संसार के क्रम को जारी रखता है और संसार का उपकार करना ही मनुष्य के लिए सर्वोत्तम है।

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