समिट में आकर्षण का केंद्र बनी मैदानी इलाके में उगी स्ट्राबेरी

हिसार जिले के गांव स्याहडवा निवासी किसान सुरेंद्र अपनी लग्न और मेहनत से पहाड़ों की फसल स्ट्रॉबेरी उगा कर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। सुरेंद्र की यह फसल एग्री लीडरशिप समिट में भी आकर्षण का केंद्र बनी। सुरेंद्र ने अपनी स्टाल लगाकर वहां पहुंचे अन्य किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जागरूक किया। सुरेंद्र ने कहा कि स्ट्रॉबेरी के पौधे हिमाचल और महाराष्ट्र से लाए जाते थे और अब पौधे यहीं पर तैयार कर दूसरे राज्यों को भेजे जाते हैं। यहां पर स्ट्रॉबेरी की विभिन्न प्रकार की वैरायटी की खेती की जाती है। इसमें स्वीट चार्ली, ¨वटर डाउन, काडलर, रानियां, मोखरा आदि प्रमुख हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 07:58 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 07:58 PM (IST)
समिट में आकर्षण का केंद्र बनी मैदानी इलाके में उगी स्ट्राबेरी
समिट में आकर्षण का केंद्र बनी मैदानी इलाके में उगी स्ट्राबेरी

संवाद सहयोगी, गन्नौर (सोनीपत) : हिसार जिले के गांव स्याहडवा निवासी किसान सुरेंद्र अपनी लगन और मेहनत से पहाड़ों की फसल स्ट्राबेरी उगाकर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। सुरेंद्र की यह फसल एग्री लीडरशिप समिट में भी आकर्षण का केंद्र बनी। सुरेंद्र ने अपनी स्टाल लगाकर वहां पहुंचे अन्य किसानों को स्ट्राबेरी की खेती के बारे में जागरूक किया। सुरेंद्र ने कहा कि स्ट्राबेरी के पौधे हिमाचल और महाराष्ट्र से लाए जाते थे और अब पौधे यहीं पर तैयार कर दूसरे राज्यों को भेजे जाते हैं। यहां पर स्ट्राबेरी की विभिन्न प्रकार की वैरायटी की खेती की जाती है। इसमें स्वीट चार्ली, ¨वटर डाउन, काडलर, रानियां, मोखरा आदि प्रमुख हैं।

सुरेंद्र ने बताया कि सितंबर के महीने में स्ट्राबेरी की पौध लगाई जाती है। पौध लगाने के बाद 20 दिन में फव्वारा लगाते हैं। जनवरी-फरवरी में स्ट्राबेरी की फसल तैयार होकर फल देने लगती है और मार्च तक यह खेती चलती है। उनके अनुसार एक एकड़ जमीन में 20 से 200 क्विंटल स्ट्राबेरी की पैदावार होती है। इसमें करीब आठ से 10 लाख रुपये की आमदनी होती है। इसके अलावा वह स्ट्राबेरी से खुद ही जैम, जेली, जूस, मिल्क कैंडी, स्ट्राबेरी शैंपू और साबुन समेत 18 तरह के उत्पाद बनाते हैं। बेल वाला टमाटर भी आमजन को भाया

समिट में लगाई गई विभिन्न प्रदर्शनी में बेल पर लगा संयोगिता टमाटर भी किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। स्टाल के प्रतिनिधि ने बताया कि इसका पौधा अधिकतर पांच फुट तक रहता है। एक पौधे पर 10 से 12 किलोग्राम टमाटर आसानी से हो जाते हैं। किसान इसे 15 मार्च से लगाना शुरू कर सकते हैं। अगस्त माह में यह फसल तैयार हो जाती है। यह टमाटर 10 से 12 दिनों तक टाइट रहता है। इसके अलावा 40 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी यह टमाटर नरम नहीं पड़ता। यह टमाटर आम टमाटरों की अपेक्षा प्रति किलो करीब सात रुपये महंगा होता है। इसलिए किसान इसे उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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