प्री-मैच्योर नवजात के इलाज के लिए तीन घंटे तक भटकती रही मां

जागरण संवाददाता, सोनीपत : गोरखपुर में हुई घटना से भी नागरिक अस्पताल प्रबंधन कुछ सीखने क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Aug 2017 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 17 Aug 2017 03:01 AM (IST)
प्री-मैच्योर नवजात के इलाज के लिए तीन घंटे तक भटकती रही मां
प्री-मैच्योर नवजात के इलाज के लिए तीन घंटे तक भटकती रही मां

जागरण संवाददाता, सोनीपत : गोरखपुर में हुई घटना से भी नागरिक अस्पताल प्रबंधन कुछ सीखने को तैयार नहीं है। ऐसा ही एक मामला नागरिक अस्पताल में देखने को मिला जब चंद घंटे पहले पैदा हुए अपने प्री-मेच्योर बच्चे को लेकर मां इलाज के लिए भटकती रही, लेकिन किसी डॉक्टर या स्टाफ ने एक मां की पुकार नहीं सुनी। अनपढ़ मां बच्चे को लेकर तीन घंटे तक अस्पताल में घूमती रही, लेकिन बच्चे को ऑक्सीजन की सुविधा भी नहीं दी गई। आशा वर्कर व कुछ मीडिया कर्मियों ने हस्तक्षेप कर प्री-मेच्योर बच्चे को इमरजेंसी से खानपुर मेडिकल के लिए रेफर कराया।

बंगाल का रहने वाला न्यूजमल गांव जठेड़ी में रह रहा है। उसकी पत्नी गर्भवती थी। डिलीवरी अक्टूबर में होनी थी। न्यूजमल ने बताया कि सुबह पत्नी को अचानक दर्द हुआ। उसे सीएचसी बढ़खालसा लेकर पहुंचे तो पत्नी ने प्री-मेच्योर बच्चे को जन्म दिया। सीएचसी के डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए नागरिक अस्पताल में रेफर कर दिया। नवजात को नागरिक अस्पताल लेकर पहुंचे तो नर्सरी में जगह न होने के चलते स्टाफ ने भर्ती करने से मना कर दिया। डाक्टर से बात करनी चाही तो कहा गया कि नर्सरी की डॉक्टर छुट्टी पर हैं। खानपुर लेकर जाने की बात कही। रेफर करवाने के लिए किसी अन्य डॉक्टर के पास भेज दिया गया। इसी तरह करीब तीन घंटे तक भटकते रहे।

बच्चे के जीवन को हो सकता था खतरा

प्री-मेच्योर नवजात को देखभाल की सख्त जरूरत होती है। समय से पहले पैदा हुए बच्चे को नर्सरी या कंगारू मदर केयर यूनिट में रखना अनिवार्य होता है। जिस तरह अस्पताल में प्रबंधन की खामी उजागर हुई है, ऐसे में बच्चे के जीवन को भी संकट हो सकता था। नवजात को भर्ती करने के बजाय स्टाफ भी एक से दूसरे डॉक्टर के पास भेजा रहा।

वर्जन

प्री-मेच्योर नवजात को ऑक्सीजन लगाना बेहद जरूरी होता है। अगर स्टाफ की तरफ से कोई लापरवाही बरती गई है तो जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नवजात को समय से रेफर न करने की भी विभागीय जांच होगी।

-डाक्टर सीपी अरोड़ा, प्रधान चिकित्सा अधिकारी।

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