ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी भी तालाबों के अस्तित्व पर ¨चतित

जागरण संवाददाता, गोहाना: विकास एवं भौतिकतावाद की दौड़ में तालाबों के अस्तित्व पर संकट गहराता जाता

By Edited By: Publish:Wed, 25 May 2016 05:35 PM (IST) Updated:Wed, 25 May 2016 05:35 PM (IST)
ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी भी तालाबों के अस्तित्व पर ¨चतित

जागरण संवाददाता, गोहाना:

विकास एवं भौतिकतावाद की दौड़ में तालाबों के अस्तित्व पर संकट गहराता जाता है। तालाब जल के अक्षय स्त्रोत हैं तो इनसे पशुधन को बढ़ावा मिलता है। अनदेखी के चलते तालाबों की जगह पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। जिन तालाबों में पहले स्वच्छ पानी होता था, अब उनमें दूषित पानी बह रहा है। दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से लोगों में तालाबों के प्रति चेतना पैदा होने लगी है। अब ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी नागरिक भी तालाबों के अस्तित्व पर ¨चतित नजर आने लगे हैं। शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी गोहाना शहर में एक बड़ा तालाब बनाने और उसके चारों तरफ पौधे रोपने की मांग की।

बरोदा रोड स्थित इंद्र गढ़ी में एक दुकान के बाहर दस बारह व्यक्ति बैठे थे। इस टोली में बुजुर्ग, अधेड़ व बुजुर्ग शामिल थे। बुजुर्ग जयकिशन ने कहा कि ग्रामीण जीवन में तालाबों की संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। तालाबों के साथ बने मंदिरों व धर्मशालाओं के अस्तित्व पर भी अब तो संकट बना हुआ है। पहले गर्मी के मौसम में पूरा दिन ग्रामीण युवा तालाबों में छलांग लगाते नजर आते थे। तालाबों के किनारे पेड़ों की छाया में बुजुर्ग लंबी चर्चा करते थे तो महिलाएं भी तालाबों के किनारे पर बैठ कर कपड़े धोती नजर आती थी। अधेड़ नरेश कुमार बोला ताऊ बचपन में हम भी तालाबों पर जाया करते। पहले खूब खेलते थे और उसके बाद तालाब में स्नान करते थे। तालाबों में स्नान करना भी एक तरह से व्यायाम ही होता था। पवन कुमार बोला अब तो अधिकतर गांवों में दूषित पानी तालाबों में बहता है। वर्षों तक तालाबों में नहरी पानी नहीं भरा जाता है। अब तालाब नहीं बचे हैं जबकि दूषित पाने के बड़े कुंड बन गए हैं। अनेक तालाब तो सूख भी गए हैं। तालाबों में पानी न होने से पशुओं के लिए संकट बढ़ता जा रहा है। दया सैनी ने कहा कि तालाबों को बचाने के लिए पंचायतों ने ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। गांव के दूषित पानी की निकासी के लिए अलग से व्यवस्था करनी होगी। तालाबों में स्वच्छ पानी भरने के लिए सरकार व प्रशासन को भी गंभीरता दिखानी चाहिए। समाज के सभी वर्गों में तालाबों को बचाने के लिए जागरूकता लानी होगी। टोली में बैठे नागरिकों ने सरकार से गोहाना शहर के निकट बड़े तालाब बनाने और उसके चारों तरफ पेड़ लगवाने की मांग की।

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