हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ेे कुख्यात चीता ने जगह बदलने का बना लिया था प्लान, एक क्लू ने पकड़वा दिया

सबसे बड़ा नशा तस्कर हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा कुख्यात चीता मार्च में ठिकाना बदलने की योजना बना रहा था लेकिन लॉकडाउन के कारण वह ऐसा नहीं कर पाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 May 2020 10:50 AM (IST) Updated:Mon, 11 May 2020 10:50 AM (IST)
हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ेे कुख्यात चीता ने जगह बदलने का बना लिया था प्लान, एक क्लू ने पकड़वा दिया
हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ेे कुख्यात चीता ने जगह बदलने का बना लिया था प्लान, एक क्लू ने पकड़वा दिया

जेएनएन, सिरसा। सबसे बड़े ड्रग माफिया व आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े तरनतारन के रंजीत उर्फ चीता व उसके भाई गगनदीप को पकड़े जाने का भय सता रहा था। वे यहां से ठिकाना बदलने का मन मार्च में ही बना चुके थे। सब तैयारियां हो गई थी इसी दौरान कोरोना की वजह से लॉकडाउन हो गया और चीता का परिवार निकल नहीं पाया। वरना वे यहां से दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते। चीता जमीन खरीदने की तैयारी में था। यह खुलासा पुलिस पूछताछ में चीता व उसके भाई को अपनी आइडी पर किराये का मकान दिलाने वाले साढू गुरमीत ने किया है। यहां यह भी बता दें कि एनआइए को मिले एक क्लू के कारण दोनों भाइयों को सिरसा में ही पकड़ लिया गया। यह क्लू जमीन खरीद करने की तैयारियों को लेकर था।

चूरापोस्त के साथ पकड़े गए गगनदीप के रिश्ते के साढू गुरमीत निवासी वैदवाला को पुलिस ने दो दिन के रिमांड पर लिया है। पुलिस पूछताछ में गुरमीत ने बताया कि 15 सितंबर को उसने ही किराये पर मकान दिलाया था और मकान दिलाने से पहले चीता ने जगह देखी और इसके बाद फाइनल की। तभी से चीता व उसके भाई का परिवार इसी मकान में रह रहा है। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि दोनों भाई यहां सामान्य ढंग से रहे, ताकि उन्हें कोई पहचान न पाए।

शिफ्ट हुए तब 10 लाख रुपये लेकर आए ताकि बैंक की जरूरत न पड़े

पुलिस सूत्रों के अनुसार दोनों भाइयों को पंजाब में गिरफ्तारी का डर सता रहा था। दोनों भाई इतने शातिर हैं कि बैंक में खाता खुलवाने से भी बचना चाहते थे, इसीलिए सिरसा आए तब करीबन 10 लाख रुपये की राशि लेकर आए थे, ताकि उन्हें बैंक जाना ही न पड़े। इसी राशि को यहां खर्च करते रहे। अब यह भी जानकारी आ रही है कि चीता घर से निकलने का प्रयास कम करता था, जबकि गगनदीप बाजार भी जाता था, लेकिन सामान लेते ही लौट आता था और फिर अपनी दुकान पर बैठ जाता था।

अमृतसर से अधिक दूरी के चलते सिरसा को माना सेफ

पंजाब पुलिस के दबाव के चलते उन्होंने पंजाब छोड़ने का मन बनाया। कई विवाह समारोहों में मिले दूर के रिश्तेदार वेदवाला के गुरमीत सिंह ने सिरसा के बारे में चर्चा की। बाद में बताया कि गांव में झगड़ा हो गया है पुलिस पीछे पड़ी है इसलिए वे महीने-दो महीने के लिए सिरसा आना चाहते हैं। रहने के लिए किराये पर मकान दिलाने का आग्रह किया और इसके बाद जिस मकान में पकड़े गए उसे पसंद कर लिया गया और सितंबर में ही यहां रहने लगे। सिरसा उन्हें पूरी तरह सेफ नजर आया। यहां न ही तो पंजाब पुलिस का दबाव दिखा और न ही किसी अन्य प्रकार की परेशानी आई। अमृतसर से अधिक दूरी के कारण यहां निकट रिश्तेदारियां नहीं थी, इसलिए उन्हें सिरसा अधिक रास आ गया। गिरफ्तार गुरमीत सिंह झारखंड में कोयले का ट्रक चलाता है। लॉकडाउन से कुछ समय पहले सिरसा आ गया था और अब यहीं रह रहा था। पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया कि अब तो वे जाने वाले थे, लेकिन पकड़े गए।

अभी पूछताछ जारी

सदर थाना प्रभारी राजाराम का कहना है कि जिस मकान से मोस्टवांटेड चीता व उसके भाई गगनदीप को पकड़ा है उस मकान पर ताला जड़ दिया गया है। पुलिस का पहरा है। पंजाब पुलिस या एनआइए को जरूरत होगी तो वे इसकी जांच कर सकते हैं। मकान पर निगरानी करना जरूरी है। गिरफ्तार साढू को दो दिन के रिमांड पर लिया है अभी पूछताछ कर रहे हैं।

आनंदपाल का भी सिरसा से निकला था कनेक्शन

ड्रग माफिया चीता की गिरफ्तारी से एक बार फिर सिरसा सुर्खियों में आया है। पुलिस से छिपने के लिए सिरसा उनकी शरणस्थली बना। इससे पहले राजस्थान के मोस्टवांटेड रहे आनंदपाल का भी सिरसा से कनेक्शन निकला था और सिरसा कनेक्शन के सहारे ही पुलिस ने उसे राजस्थान के गांव मालासर में ढूंढ लिया जहां उसका एनकाउंटर हुआ। जून 2017 में राजस्थान पुलिस की ओर से इनपुट दिया गया था कि परिवार के सदस्य सिरसा में होने की जानकारी आई। इसके बाद सिरसा पुलिस सक्रिय हुई और आनंदपाल के दो भाइयों को सिरसा के शेरपुरा गांव से पकड़ लिया गया। उन्हीं से पुलिस को आनंदपाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिली थी।

पुलिस से घिरा देखकर पंजाब के गैंगस्टरों ने एक दूसरे पर चला दी थी गोली

पंजाब पुलिस के लिए वांटेड रहे गैंगस्टर कमलजीत सिंह, जसप्रीत सिंह और निशान सिंह डबवाली क्षेत्र के गांव सुकेराखेड़ा के एक मकान में शरण लिए हुए थे। पंजाब पुलिस को उनकी जानकारी हासिल हुई और उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया। 13 जून 2017 को जैसे ही खुद को घिरा पाया तो एक-दूसरे पर गोलियां चला दी। तीनों की ही मौत हो गई थी।

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