इस बेटी ने सात समंदर पार बैठ गांव में तैयार की बेटियों की चेस टीम

- जियो बेटी के नाम से चलाती है मुहिम, इस साल जिला स्तर पर खेलेंगी बेटियां विनीत तोमर, रोहतक : छोरी की जात है, कै करेगी इतणा पढ़-लिखकै। ब्याह होणे पर करना तो चूल्हा-चौका ही है। क्यों इतनी खुली छूट दे रखी। जिस बेटी को लेकर बचपन में उसके पिता को ग्रामीणों के यह सब ताने सुनने को मिलते थे, आज उसी बेटी पर पूरा गांव फर्क करता है। इस बेटी ने सात समुंद्र पार लंदन में बैठकर अपने गांव में 40 से अधिक बेटियों को ट्रे¨नग देकर चेस की टीम तैयार कर दी। करीब तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद अब यह टीम जिला स्तर पर खेलने को तैयार है। यहां बात हो रही है महम खेड़ी गांव की रहने वाली अंतराराष्ट्रीय चेस खिलाड़ी अनुराधा बेनीवाल की।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 06 Jan 2019 05:20 AM (IST) Updated:Sun, 06 Jan 2019 05:20 AM (IST)
इस बेटी ने सात समंदर पार बैठ गांव में तैयार की बेटियों की चेस टीम
इस बेटी ने सात समंदर पार बैठ गांव में तैयार की बेटियों की चेस टीम

विनीत तोमर, रोहतक

छोरी की जात है, कै करेगी इतणा पढ़-लिखकै। ब्याह होण पै करना तो चूल्हा-चौका ही है। क्यों इतनी खुली छूट दे रखी। जिस बेटी के लिए पिता को ग्रामीणों के ऐसे ताने सुनने को मिलते थे, आज उसी बेटी पर पूरा गांव फº कर रहा है। करे भी क्यों न। इस बेटी ने सात समदर पार लंदन में बैठकर न केवल गांव को गोद लिया, बल्कि गांव की 40 से अधिक बेटियों को ट्रे¨नग देकर चेस खिलाड़ी तैयार किया है। करीब तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद अब यह टीम जिला स्तर पर खेलने को तैयार है। यहां बात हो रही है महम खेड़ी गांव की रहने वाली अंतराराष्ट्रीय चेस खिलाड़ी अनुराधा बेनीवाल की। कौन हैं अनुराधा

अनुराधा के पिता कृष्ण बेनीवाल रिटायर्ड शिक्षक है। 12वीं की पढ़ाई के बाद दिल्ली के मिरांडा हाउस से बीए ऑनर्स और पुणे से एलएलबी की। वह पहली बार 16 वर्ष की उम्र में 2001 में व‌र्ल्ड चेस चैंपियनशिप में भाग लेने स्पेन गई थीं। इसके बाद उन्होंने पेरिस, फ्रांस, पोलैंड, ब्राजील, हंगरी और स्विटजरलैंड समेत 10 से अधिक देशों में जाकर प्रतियोगिता खेली। फिलहाल वह लंदन में चेस एकेडमी चला रही हैं। करीब दो साल पहले अनुराधा ने 'आजादी मेरा ब्रांड' पुस्तक भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपनी ¨जदगी के बारे में लिखा था। साथ ही बेटियों को संदेश दिया कि घर से बाहर निकलकर ही सफलता की सीढि़यां मिल सकती है। जिस स्कूल में खुद पढ़ी, उसी स्कूल में बनाई बेटियों की टीम

अनुराधा ने करीब तीन साल पहले 'जिओ बेटी' नाम से मुहिम शुरू की थी। इसका उद्देश्य था कि गांव की बेटियों को सशक्त बनाना। इसके अंतर्गत अनुराधा ने अपने गांव के उसी स्कूल की बेटियों को चुना, जिसमें वह खुद पढ़ी थी। गांव के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, ड्रेस और उन्हें चेस की ट्रे¨नग देनी भी शुरू कर दी। अनुराधा के इस काम में करीब 11 लोगों की टीम लगी हुई है। अनुराधा जब भी गांव में आती हैं, तब वह खुद भी बेटियों को चेस के टिप्स देती हैं। उनके बाद महम कॉलेज के शिक्षक सुमेर ¨सह सिवाच टीम को बारीकियां सिखाते हैं। कुछ महीने पहले स्कूल में चेस कंपटीशन कराया गया था, जिसमें साक्षी, मुस्कान, आरजू समेत अन्य ने शानदार प्रदर्शन किया। अब ये बेटियां जिला स्तर पर खेलने को तैयार है। आरक्षण आदोलन के बाद पोस्ट की गई वीडियो रही थी चर्चाओं में

वर्ष 2016 में आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई ¨हसा के बाद अनुराधा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की थी। इसमें अनुराधा ने अमन और भाईचारा बनाए रखने की मार्मिक अपील करने के साथ ही उन लोगों को नसीहत भी दी थी, जो दूसरों के घर जला रहे थे। अनुराधा की इस वीडियो को काफी सराहा गया था।

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