मस्तनाथ यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर था सरगना, रकम के हिसाब से देते थे मनचाहे नंबर

जागरण संवाददाता रोहतक एमडीयू की उत्तर पुस्तिकाओं में नंबर बढ़ाने के गोरखधंधे में पुि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 07:03 PM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2019 07:03 PM (IST)
मस्तनाथ यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर था सरगना, रकम के हिसाब से देते थे मनचाहे नंबर
मस्तनाथ यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर था सरगना, रकम के हिसाब से देते थे मनचाहे नंबर

जागरण संवाददाता, रोहतक : एमडीयू की उत्तर पुस्तिकाओं में नंबर बढ़ाने के गोरखधंधे में पुलिस को अहम जानकारी मिली है। इसका सरगना कोई और नहीं, बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर ही था, जो रकम के हिसाब से फेल छात्रों को पास करने के लिए मनचाहे नंबर देता था। जरूरत पड़ने पर छात्रों को वहीं बैठाकर उनसे उत्तर पुस्तिका के खाली पेज भरने के नाम पर प्रश्न भी हल कराए जाते थे। पकड़े गए तीनों आरोपितों को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि पूर्व एचओडी समेत दूसरे आरोपित की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

यह था मामला

एमडीयू से बीटेक के सिविल इंजीनियरिग की उत्तर पुस्तिकाएं रि-चेकिग और रि-वेलवेशन के लिए बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के पूर्व एचओडी वीके आहुजा के पास आती है। फिलहाल में वीके आहुजा जुलाना में वृह्द देवी इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व एचओडी यह उत्तर पुस्तिकाएं बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिग विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर पवन सांगवान के पास चेकिग के लिए देता था। इसके बाद सोनीपत के सिसाना गांव का रहने वाला विनीत दहिया और असिस्टेंट प्रोफेसर छात्रों से संपर्क कर उन्हें बुलाते थे और फिर नंबर बढ़ाने के नाम पर 40 से 50 हजार रुपये वसूलते थे। चार दिन पहले सीआइए-3 की टीम ने छापा मारकर असिस्टेंट प्रोफेसर और दो छात्र दीपक और अजय को गिरफ्तार किया था। छात्र को बुलाकर खाली पेज पर कराते थे प्रश्न हल

सीआइए-3 प्रभारी ललित कुमार ने बताया कि आरोपित काफी समय से इस धंधे में लगे हुए थे। असिस्टेंट प्रोफेसर और विनीत दहिया एमडीयू से पता करते थे कि बीटेक में किस छात्र की रि आयी हुई है और किस-किस छात्र ने पेपर दिए हैं। इसके बाद विनीत दहिया छात्रों से संपर्क कर उन्हें बुलाता था। खास बात यह है कि उत्तर पुस्तिका में टोटल अंक देखे जाते थे, जिसके बाद यदि उत्तर पुस्तिका में कोई पेज खाली रह गया तो उस पर छात्र को वहीं बुलाकर प्रश्न हल कराया जाता था। तब जाकर छात्र से रुपयों की डील होती थी। जितने रुपये छात्र देता था उसी हिसाब से मनचाहे नंबर दिए जाते थे। हालांकि फिर भी इस बात का ख्याल रखा जाता था कि छात्र को इतने अधिक भी नंबर न दिए जाए जिससे वह पास होने पर शक के दायरे में आ जाए। असिस्टेंट प्रोफेसर इस गोरखधंधे का सरगना था। मौके से पकड़े गए तीनों आरोपितों को बृहस्पतिवार को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वही फरार चल रहे पूर्व एचओडी और विनीत दहिया की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्दी ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा। उनसे पूछताछ के बाद कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। मौके से बरामद 175 उत्तर पुस्तिकाओं की भी होगी जांच

पुलिस ने जिस समय विनीत दहिया के कार्यालय पर छापा मारा वहां से बीटेक की करीब 175 उत्तर पुस्तिका भी बरामद हुई थी। अब इन उत्तर पुस्तिकाओं की भी जांच की जाएगी कि किस-किस छात्र से रुपये लेकर नंबर दिए गए हैं। उसमें देखा जाएगा कि किस उत्तर पुस्तिका में नंबर चढ़ा दिए गए हैं और कितनी उत्तर पुस्तिका अभी बची हुई है। जिन उत्तर पुस्तिकाओं में नंबर चढ़ाए गए हैं उनका दोबारा से भी मूल्यांकन कराया जा सकता है। पहले भी हो चुके हैं फर्जीवाड़े

एमडीयू में बीटेक की उत्तर पुस्तिका में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। मई 2018 में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। बहादुरगढ़ के रहने वाले छात्र दीपक ने मई 2017 में बीटेक चौथे सेमेस्टर के पेपर दिए थे, लेकिन अंक अच्छे नहीं थे। इसके बाद उसने सीक्रेसी ब्रांच में ठेके पर लगे एक कर्मचारी से मिलीभगत कर अपनी उत्तर पुस्तिका निकलवाई और उसे बाहर लेकर पेपर को हल किया। फिर से उसे सीक्रेसी ब्रांच में जमा करा दिया। कर्मचारी के साथ उत्तर पुस्तिका निकालने के लिए 50 हजार रुपये में सौदा तय हुआ था। हालांकि बाद में मामला पकड़ा गया था। इसके अलावा 2012 में भी एमडीयू की छत पर करीब दो हजार से अधिक बीटेक की 2200 उत्तर पुस्तिकाएं पड़ी मिली थी। बड़े स्तर पर यह फर्जीवाड़ा किया गया था। वहीं नवंबर 2015 में भी बीटेक थर्ड सेमेस्टर 2013 में मैथ की 61 उत्तर पुस्तिकाएं सोनीपत स्टैंड के पास रेहड़ी पर पड़ी मिली थी।

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