सोच समझकर जाएं, सरकारी अस्पताल, चिकित्सकों की हड़ताल के चलते नहीं मिलेगा उपचार

रोहतक सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने के लिए आने वाले हजारों मर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Sep 2019 06:19 PM (IST) Updated:Wed, 04 Sep 2019 06:19 PM (IST)
सोच समझकर जाएं, सरकारी अस्पताल, चिकित्सकों की हड़ताल के चलते नहीं मिलेगा उपचार
सोच समझकर जाएं, सरकारी अस्पताल, चिकित्सकों की हड़ताल के चलते नहीं मिलेगा उपचार

जागरण संवाददाता, रोहतक : सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने के लिए आने वाले हजारों मरीजों को आज से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। दरअसल मांगों को लेकर एचसीएमएस के चिकित्सक बृहस्पतिवार से हड़ताल करेंगे। हालांकि अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं संचालित रहेंगी, लेकिन नौ सितंबर से इमरजेंसी और पोस्टमार्टम की सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी। चिकित्सकों की हड़ताल से प्रतिदिन अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले जिले के करीब पांच हजार मरीजों को सीधे तौर पर परेशानियां झेलनी पड़ेंगी।

एचसीएमएस (हरियाणा मेडिकल सिविल सर्विसेज) के चिकित्सकों द्वारा बृहस्पतिवार से हड़ताल शुरू की जा रही है। नौ सितंबर से इमरजेंसी व पोस्टमार्टम की प्रक्रियाएं बंद कर दी जाएंगी। इससे बृहस्पतिवार के बाद मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ सकता है। रविवार को हुई बैठक में चिकित्सकों ने विशेषज्ञ चिकित्सकों को विशेष भत्ता व नौकरी के चार, नौ, 13 व 20 वर्ष पूरे होने पर पदोन्नति की मांग की। इससे पहले चिकित्सकों ने दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल करते हुए चेतावनी दी थी, परन्तु सरकार ने चिकित्सकों की चेतावनी पर विशेष ध्यान नहीं दिया था। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. जसवीर परमार ने बताया कि 24 जुलाई को मुख्यमंत्री के साथ वार्ता के बाद आश्वासन तो दिया गया, लेकिन अभी तक सरकार ने मांगों के संबंध में कोई ध्यान नहीं दिया है। जिसके चलते चिकित्सकों में रोष व्याप्त है। बृहस्पतिवार से सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद की जाएंगी। इस दौरान इमरजेंसी व पोस्टमार्टम की प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन नौ सितंबर से इमरजेंसी और पोस्टमार्टम भी बंद कर दिए जाएंगे। देहात के अस्पतालों में भी रहेगा संकट

देहात क्षेत्र के अस्पतालों में जहां पर इक्का-दुक्का चिकित्सक ही तैनात रहते हैं, वहां पर मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। क्षेत्र में कई अस्पताल ऐसे हैं जहां पर प्रतिदिन 50 या इससे अधिक मरीज आते हैं, लेकिन चिकित्सक न होने के कारण मरीजों को उपचार के लिए पीजीआइ या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ेगा।

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