पहले खेल कोटा रद किया अब स्टेडियम में प्रैक्टिस पर टैक्स : दीपेंद्र हुड्डा

राज्यसभा सदस्य दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने पहले सीधी भर्ती पर खिलाड़ियों का कोटा रद किया और अब स्टेडियम में प्रैक्टिस पर टैक्स लगा दिया। प्रदेश सरकार का यह हैरान करने वाला फैसला है इसकी जितनी निदा की जाए उतनी कम है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Apr 2022 01:39 AM (IST) Updated:Fri, 22 Apr 2022 01:39 AM (IST)
पहले खेल कोटा रद किया अब स्टेडियम में प्रैक्टिस पर टैक्स : दीपेंद्र हुड्डा
पहले खेल कोटा रद किया अब स्टेडियम में प्रैक्टिस पर टैक्स : दीपेंद्र हुड्डा

जागरण संवाददाता, रोहतक : राज्यसभा सदस्य दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने पहले सीधी भर्ती पर खिलाड़ियों का कोटा रद किया और अब स्टेडियम में प्रैक्टिस पर टैक्स लगा दिया। प्रदेश सरकार का यह हैरान करने वाला फैसला है, इसकी जितनी निदा की जाए, उतनी कम है। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार के बनाए गए स्टेडियम में गठबंधन सरकार को टैक्स वसूलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आता कि ये सरकार आखिर खिलाड़ियों के पीछे क्यों पड़ी है। सरकार युवाओं को खेल की ओर प्रोत्साहित करना चाहती है या खेलने से रोकना चाहती है? अब तो सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने पर टैक्स लगाना बाकी रह गया है और तो इस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हम चुप नहीं बैठेंगे, जैसे खेल कोटा बहाल कराया वैसे ही इस फरमान को भी रद करायेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने तुरंत इस फैसले को रद करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि हरियाणा ऐसा प्रदेश है जहां गांव-गांव के घर-घर में खेल प्रतिभाएं मौजूद हैं। जरूरत इस बात की है कि इन्हें पर्याप्त सुविधाएं और प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि वे कड़ी मेहनत से अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन करें। इसी दूरदर्शी सोच के साथ हुड्डा सरकार ने हरियाणा को खेलों का गढ़ बनाने हेतु गांव से शहरों तक देश में सर्वाधिक स्टेडियमों का निर्माण करवाया था। खिलाड़ियों को तमाम आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई, उन्हें प्रोत्साहित किया। इसका परिणाम ये रहा कि हरियाणा के खिलाड़ियों ने कांग्रेस सरकार के दौरान पदकों से देश की झोली को भर दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने हुड्डा सरकार में खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई नीतियों में बढ़ोत्तरी करने की बजाए हमेशा उनमें कटौती की है।

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