चारों दिशाओं में देख सकता है कॉलर्ड फाल्कोनेट

कॉलर्ड फाल्कोनेट भारत में एक स्थानीय पक्षी है जो आमतौर पर जंगलों के किनारे या जंगलों के बीच जहां खुली जगह हो तथा जंगल के किनारे बड़े पेड़ व नदियों एवं धाराओं केआसपास देखे जा सकते है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Jul 2019 05:27 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jul 2019 06:34 AM (IST)
चारों दिशाओं में देख सकता है कॉलर्ड फाल्कोनेट
चारों दिशाओं में देख सकता है कॉलर्ड फाल्कोनेट

परिदों की दुनिया: कॉलर्ड फाल्कोनेट

परिवार: फॉल्कोनीडी

जाति: माइक्रोहाइरैक्स

प्रजाति: करूलेसेंस

लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, वन मंडल अधिकारी रेवाड़ी। ------------------

कॉलर्ड फाल्कोनेट भारत में एक स्थानीय पक्षी है, जो आमतौर पर जंगलों के किनारे या जंगलों के बीच जहां खुली जगह हो तथा जंगल के किनारे बड़े पेड़ व नदियों एवं धाराओं के आस-पास देखे जा सकते है। पहाड़ों में ये 2500 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहते है। ये आमतौर पर जिस एक पेड़ को अपना बसेरा बनाते है, बार-बार उसी पेड़ पर देख सकते है। एक व्यस्क पक्षी के शरीर का ऊपरी हिस्सा चमकीला काला, जिसमें पूंछ की पंखों पर नीचे की तरफ सफेद रंग के स्पॉट होते है। इसके शरीर का नीचे का हिस्सा सफेद व बादामी रंग का होता है। इसके सिर पर आंख व कान के पास काले रंग की पट्टी, माथे का अग्र भाग व आंख के ऊपर से गर्दन के पीछे तक सफेद रंग की पट्टी दिखती है। इसकी दांत जैसी चोंच काले रंग की होती है। आंखें गहरी-भूरी, पांव व पंजे गहरे स्लेटी व काले रंग के होते है। इसका आकार 14 से 18 सेंटीमीटर तक होता है। नर व मादा एक जैसे दिखते है, लेकिन मादा आकार में नर से बड़ी होती है। चुस्त शिकारी पक्षी है कॉलर्ड फाल्कोनेट

शिकारी पक्षियों में यह एक छोटे आकार का पक्षी है। कॉलर्ड फाल्कोनेट आमतौर पर अकेले या जोड़े में जंगलों के किनारे के आसपास खुले क्षेत्र में पेड़ पर बैठे नजर आते हैं। जंगलों में ये बड़ी घास वाली जगहों के आसपास ज्यादा दिखते है। इसका मुख्य कारण घास में भरपूर मात्रा में इसके शिकार की उपलब्धता है। यह पक्षी काफी चुस्त होते है। ये पेड़ पर बैठक कर चारों दिशाओं में सिर को कोतरी की तरह हिला-हिला कर देखता रहता है। जैसे ही इसके अपना शिकार नजर आता है यह उसे अपने पंजे में पकड़ कर वापस उसी पेड़ पर आ जाता है। शाम के समय ये अति सक्रिय होते है। पक्षियों की इस प्रजाति का मुख्य भोजन बड़े कीट जैसे तितलियां, ड्रेगनफ्लाई, ग्रास हूपर, छोटे पक्षी व छोटे सरीसर्प आदि होते है। जिस पेड़ की शाखा पर यह बैठता है। उसके नीचे तितलियों व ड्रेगनफ्लाई के पंख बिखरे होते है। इन पंखों की सहायता से ये तितलियों व ड्रेगनफ्लाई की किस प्रजाति को खाते है, इसका पता लगाया जा सकता है। रक्षा के लिए हो जाता है आक्रमक

शिकार करते समय जब ये उड़ते है तो अपने पंखों को तेजी से हिलाते है। इस दौरान ये फ्लाइकैचर पक्षी की तरह दिखते है। ये अपना शिकार हमेशा हवा में उड़ते हुए ही करते है। इन पक्षियों के प्रजनन का समय फरवरी से मार्च तक होता है। इस दौरान नर व मादा एक दूसरे की पंखों को चोंच से सहलाते दिखते है। ये अपना घोंसला पुरानी इमारत की दरारों, पेड़ों के खोल एवं कोटर आदि में बनाते है। ज्यादातर समय कटफोड़ा या बारबेट के पुराने घोंसले का ही प्रयोग करते है। मादा पक्षी चार से पांच अंडे देती है। नर व मादा दोनों पक्षी मिल कर अंडों को सेते व चूजों को पालते है। घोंसले की रक्षा के लिए कभी-कभी इसकी आक्रमकता भी देखी जा सकती है।

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