प्रजनन के समय आकर्षक हो जाते हैं नर गाग्रेनी पक्षी

गाग्रेनी एक प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों में भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्रवास करके पहुंचते है। भारत में ये सितंबर माह में आ जाते है तथा मार्च माह में वापस अपने प्रजनन क्षेत्रों के लिए चले जाते है। ये साल में छह-सात माह तक भारत में रहते है। जब ये प्रवास करते सितंबर माह में आते है तो नर मादा व अव्यस्क पक्षियों में ज्यादा अंतर दिखाई नहीं देता लेकिन जब ये वापस जाते है तो इनके रंगों में काफी बदलाव आ जाता है जो इसके प्रजनन समय के पास और अधिक आकर्षक हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 05:25 PM (IST) Updated:Sun, 17 Mar 2019 05:25 PM (IST)
प्रजनन के समय आकर्षक हो जाते हैं नर गाग्रेनी पक्षी
प्रजनन के समय आकर्षक हो जाते हैं नर गाग्रेनी पक्षी

परिदो की दुनिया: गाग्रेनी

परिवार: एनाटीडी

जाति: स्पेटुला

प्रजाति: वर्युकेडोला

लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

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गाग्रेनी एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों में भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्रवास करके पहुंचते है। भारत में ये सितंबर में आ जाते हैं तथा मार्च में वापस अपने प्रजनन क्षेत्रों के लिए चले जाते हैं। ये साल में छह-सात माह तक भारत में रहते है। जब ये प्रवास करते सितंबर में आते हैं तो नर, मादा व अव्यस्क पक्षियों में ज्यादा अंतर दिखाई नहीं देता, लेकिन जब ये वापस जाते है तो इनके रंगों में काफी बदलाव आ जाता है, जो इसके प्रजनन समय के पास और अधिक आकर्षक हो जाता है। एक व्यस्क नर देखने में स्लेटी रंग के दिखते है। इनकी छाती व सिर भूरे रंग तथा आंख के ऊपर से सिर के पीछे की तरफ एक सफेद रंग की पट्टी होती है। इसकी चोंच व पंजे भी स्लेटी रंग के होते है। जब ये उड़ते है तो इनके उड़ने वाले पंखों में एक हल्के नीले रंग का बैंड दिखाई देता है, जबकि मादा पक्षी गहरे भूरे रंग की होती है। मादा पक्षी कॉमन टील की मादा से मेल खाती है। जब अपना खाना खाती है तो अपने सिर को पानी में डूबोते है। मादा पक्षी अपने सिर को ज्यादा हिलाती है। झनझन जैसी आवाज निकालता है नर

गाग्रेनी मुख्यत एक शाकाहारी पक्षी है, लेकिन प्रजनन समय के आसपास में जलीय कीटों, छोटी मछली, स्नेल व छोटे केकड़े खाते हैं। इसके शाकाहारी भोजन में जलीय वनस्पति, घास, बीज, जड़े व अनाज आदि हैं। गाग्रेनी के शरीर का आकार 39 से 41 सेंटीमीटर तक तथा वजन 380 से 500 ग्राम तक होता है। ये मलार्ड से थोड़े छोटे व टील से थोड़े बड़े होते है। ये कम पानी में घास वाली दलदली जगहों पर रहना पसंद करते हैं। इनका प्रजनन समय मई-जून होता है। इस दौरान सभी पक्षी अपने प्रवास के बाद वापस अपने प्रजनन क्षेत्र में पहुंच जाते है। प्रजनन समय में नर पक्षी का रंग रूप काफी सुंदर व आकर्षक हो जाता है। प्रजनन समय में नर पक्षी एक खास प्रकार की झनझन जैसी आवाज निकालते हैं। प्रवास के दौरान बनाते है जोड़ा

जब ये प्रवास करके भारत आते हैं तो यही से अपना नया जोड़ा बना कर प्रजनन वाली जगहों पर एकत्रित होते है। मादा पक्षी घोंसले के आसपास से तिनके व अन्य वनस्पति के साथ-साथ पंखों का भी प्रयोग करते हैं। घोंसला बनाने के बाद मादा पक्षी 8 से 9 अंडे देती है। इस दौरान नर पक्षी बड़ी वनस्पतियों में छुप जाते हैं। उनके शरीर पर प्रजनन समय तक जो नए पंख आते है, वे झड़ना शुरू हो जाते हैं। लगभग दो माह में इनके नए पंख आ जाते हैं। यही कारण है कि जब ये प्रवास करके भारत पहुंचते हैं तो नर-मादा पक्षी एक जैसे दिखते है। इन पक्षियों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण इनके हैबीटॉट का सिकुड़ना व घोंसलो को लोमड़ी व बाज आदि शिकारी पक्षियों से हानि होना है।

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