साझा उम्मीदवार उतार सकते हैं नगर निगम के गांव
नगर निगम चुनाव की घोषणा होने के साथ ही शहर व नगर निगम में शामिल गांवों की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां शहर में चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की ओर से मैदान में उतरने का एलान किया जा रहा है वहीं फिलहाल नगर निगम में शामिल गांवों के भावी उम्मीदवार चुप्पी ही साधे हैं।
दीपक गिजवाल, सोनीपत
नगर निगम चुनाव की घोषणा होने के साथ ही शहर व नगर निगम में शामिल गांवों की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां शहर में चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की ओर से मैदान में उतरने का एलान किया जा रहा है, वहीं, फिलहाल नगर निगम में शामिल गांवों के भावी उम्मीदवार चुप्पी ही साधे हैं। हालांकि कई लोग मेयर व पार्षद का चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं, लेकिन खुले तौर पर अभी सामने आने से बच रहे हैं। गांवों में मंथन चल रहा है कि क्यों न अपना ही एक साझा उम्मीदवार उतारा जाए जो गांवों की समस्याओं को समझ सके और उनका बेहतर तरीके से हल करवा सके।
2015 में सोनीपत नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा मिला था। इसके बाद 26 गांव नगर निगम में शहर के साथ शामिल किए गए थे। इसके बाद जैसे ही गांव के लोगों को निगम ने प्रापर्टी टैक्स के नोटिस भेजे, ग्रामीणों ने नगर निगम का विरोध शुरू कर दिया था। कड़े विरोध के बाद सरकार ने नगर निगम से जीटी रोड बेल्ट के शादीपुर, मुकीमपुर, दीपालपुर, खेवड़ा, मुरथल, हरसाना खुर्द, हरसाना कलां, असावरपुर, नसीरपुर बांगर सहित अन्य को बाहर कर दिया था। इसके बाद भी कई गांवों में विरोध चलता रहा, जो अब तक जारी है। निगम में बच्चे हुए गांवों के ग्रामीणों ने प्रापर्टी व अन्य टैक्स माफ करवाने के लिए आंदोलन भी किया। इसके लिए सर्व टैक्स विरोध समिति का भी गठन किया था। ग्रामीण कहते है कि गठन के समय गांवों को शहर बनाने के सपने दिखाए गए थे, लेकिन बीते पांच साल में गांवों की हर स्तर पर अनदेखी की गई है। मूलभूत सुविधाओं से गांव जूझ रहे हैं जबकि निगम की ओर से मनमाने टैक्स वसूले जा रहे हैं। साझे उम्मीदवार की वकालत, रायशुमारी में जुटे ग्रामीण :
अब नगर निगम विरोध समिति व सर्व टैक्स विरोध समिति से जुड़े लोग साझा उम्मीदवार उतारने की वकालत कर रहे हैं। इसके पीछे तर्क दे रहे हैं कि गांवों से चुने गए प्रतिनिधि गांवों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। उनकी मांग भी पूरी होगी और गांवों के विकास को भी बल मिलेगा। निगम में शामिल 16 गांवों के साढ़े 31 हजार वोटर पहली बार पंचायत चुनने के बजाए शहर की सरकार में हिस्सेदारी कर पार्षद और मेयर का चुनाव करेंगे। ग्रामीण साझा प्रत्याशी उतारने पर फैसला लेने के लिए रायशुमारी में जुट गए हैं। गांवों में चौधर लाने का दे रहे नारा
गांवों में चौधर लाने का नारा भी ग्रामीणों की बैठकों में दिया जा रहा है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी रायशुमारी करने में जुटे है। राजनीति से जुड़े लोग वाट्सएप व अन्य सोशल साइटों के माध्यम से मैसेज भेजकर ग्रामीणों का मन टटोल रहे हैं।
गांव----------वोटर
बैंयापुर---------5642
राठधना--------5141
शाहपुर---------3621
फाजिलपुर-------2586
रायपुर---------2294
लिवासपुर-------2246
राई---------- 2469
देवडू----------1158
जगदीशपुर-------976
खेवड़ा---------941
लिवान---------890
नांगलखुर्द-------875
रेवली---------666
अहमदपुर-------703
जाट जोशी------656
बंदेपुर---------640